इनके अलावा तीनों फैक्ट्रियों के अन्य संचालक, मालिक व सहयोगियों सहित 62 लोगों को प्रकरण में आरोपी बनाया गया है। सभी के खिलाफ आईपीसी और खाद्य अपमिश्रण अधिनियम की धाराओं में धोखाधड़ी व अन्य आरोप तय किए हैं। एसटीएफ द्वारा हिरासत में लिए गए 57 आरोपियों से अब तक की पूछताछ में एसटीएफ को यह भी जानकारी मिली है कि मप्र की एक निजी दूध उत्पादक कंपनी सहित चार अन्य कंपनियों को यहां से दूध सप्लाय होता था।
एसटीएफ ने आरोपियों के मोबाइल नंबरों की पड़ताल की तो ग्वालियर-भोपाल के खाद्य विभाग के अफसरों के नाम भी सामने आए हैं, जिनकी मिलीभगत से सिंथेटिक दूध, सिंथेटिक मावा, सिंथेटिक पनीर बनाया जा रहा था।
गौरतलब है कि वन खड़ेश्वरी डेयरी एंड फैक्ट्री अंबाह पर खाद्य विभाग और जिला प्रशासन ने 15 दिन पहले ही दूध के नमूने लिए थे। एसडीएम नीरज ने नायब तहसीलदार की मौजूदगी में खाद्य विभाग की टीम भेजकर जांच करवाई की थी, लेकिन इसे कुछ नहीं मिला। एसटीएफ ने इसे भी जांच में लिया है।
खाद्य विभाग का अमला एसटीएफ की राडार पर
आरोपियों से पूछताछ और उनके मोबाइल फोन से एसटीएफ को खाद्य विभाग के अफसरों की जानकारी मिली है। इस पर एसटीएफ ने खाद्य विभाग के अफसर, जो एक ही क्षेत्र में सालों से जमे हैं उनकी सूची बनाकर उनके कार्यकाल और उनके फोन नंबरों को भी जांच में शामिल किया है।
एसटीएफ को आरोपियों ने बताया है कि भोपाल में भिंड-मुरैना से सिंथेटिक मावा व सिंथेटिक पनीर सप्लाय किया जा रहा है। लेकिन खाद्य विभाग भोपाल की टीम ने अगस्त, 2018 से जुलाई 2019 तक दूध, मावा, पनीर और घी के 85 सैंपल लिए, लेकिन इनमें एक भी सिंथेटिक मावा-पनीर का प्रकरण सामने नहीं आया।
खाद्य विभाग की टीम को भोपाल में एक भी सैंपल में यूरिया, केमिकल, डिटर्जेंट, तेल, शेंपू, आदि की मिलावट नहीं मिली। इसके चलते एसटीएफ ने भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर के एसटीएफ एसपी को निर्देश दिए हैं कि इस नेटवर्क से जुड़े हर पहलू पर सख्त कार्रवाई करें।
एसटीएफ की राडार पर खाद्य विभाग के कुछ अधिकारी भी है। एसटीएफ का मानना है कि यह कार्रवाई तीन साल से खाद्य विभाग के अमले की मिलीभगत से चल रही थी, इसलिए खाद्य अमले ने इसमें कार्रवाई ही नहीं की। इसके चलते एसटीएफ को यह कार्रवाई करना पड़ी है।
मप्र की एक निजी कंपनी को बेचते थे नकली दूध
मप्र की दूग्ध उत्पादक निजी बड़ी कंपनी, सहित सहकारी क्षेत्र के उपक्रम और राजस्थान की दो, उप्र की एक निजी दूध कंपनियों को बड़ी मात्रा में रोजाना टेंकरों से सप्लाय होता था सिंथेटिक दूध। इन कंपनियों को भी एसटीएफ ने जांच में शामिल किया है। इनके गुणवत्ता जांचने वाले अफसरों सहित अन्य अमले को आरोपी बनाया जाएगा। नकली दूध बनाने वाले गिरोह से इनकी किस तरह की मिलीभगत थी, इसकी पड़ताल की जा रही है।
पांच राज्यों के कई जिलों में था नेटवर्क, ट्रेन से भी सप्लाय होता था
मप्र के गुना, शिवपुरी, शाजापुर, शुजालपुर में दूध सप्लाय होता था। यहां टेंकरों से दूध भेजा जाता था। कार्रवाई से बचने के लिए ग्वालियर-चंबल संभाग में सप्लाय नहीं होता था। वहीं, भोपाल-इंदौर में सिंथेटिक मावा और सिंथेटिक पनीर बेचा जा रहा था। राजस्थान के धोलपुर, भरतपुर, उप्र के इटावा, आगरा, अलीगढ़, मथुरा, कानुपर, मैनपुरी, उरैया में और हरियाणा के कुछ जिलों में सिंथेटिक दूध भेजा जाता था। वहीं दिल्ली में टेंकर और ट्रेन से के जरिए दूध भेजा जाता था।
सिंथेटिक दूध के कारोबार पर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट कर कहा कि ‘‘जनता के स्वास्थ्य के साथ धोखा व खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं। सिंथेटिक दूध व मावा के अवैध व्यापार से जुड़े लोगों पर करे कड़ी कार्यवाही, किसी को भी बख्शा नहीं जाये। ऐसे लोग समाज व मानवता के दुश्मन , इन्हें कड़ी से कड़ी सज़ा मिलना चाहिये।’’