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भोपाल

पत्थर बता रहे हमारी सभ्यता की कहानी

– भेल कॉलेज में मिले पाषणयुगीन पत्थरों से सभ्यता के नए राज खुलेंगे- पूरे देश में भोपाल और आसपास का इलाका सभ्यता से रूबरू होने बड़ा केंद्र

भोपालJan 16, 2019 / 05:11 pm

आसिफ सिद्दीकी

stone Telling the Story of Our Civilization

पत्थर बता रहे हमारी सभ्यता की कहानी

आसिफ सिद्दीकी, भोपाल. इंसानी सभ्यता के विकसित होने और परवान चढऩे की पूरी कहानी पाषाण युग की कलाकृतियों में मिलती है। भोपाल और आसपास का इलाकों में आज भी सभ्यता से दर्शन कराने वाले ऐसे जवाहर बिखरे पड़े हैं जिनकी पहचान होना अब भी बाकी है। पिछले दिनों भोपाल के भेल इलाके में मिले पाषाणयुगीन पत्थरों से देश के पुरातत्वविदों को काफी उम्मीदें हैं।

नायाब पत्थरों की खोज
पुरातत्व विभाग से दस साल पहले सेवानिवृत्त हुए डॉ. नारायण व्यास ने पिछले दिनों ऐसे ही कुछ नायाब पत्थरों को खोज निकाला है। भेल कॉलेज में संचालित टूरिज्म की क्लासेस लेने पहुंचे डॉ. व्यास को यहां पुरातत्व की दृष्टि से कुछ बेशकीमती पत्थर नजर आए। उन्होंने इन पत्थरों को निकलवाकर उसपर रिसर्च शुरू कर दी है। डॉ. व्यास के अनुसार यह पत्थर पाषाणयुग में बने औजारों और हथियारों से काफी मेल खाते हैं। उन्हें पूरी उम्मीद है कि इन पत्थरों में पाषाण युग का इतिहास छिपा हुआ है। फिलहाल वे स्वयं इन पत्थरों की जांच कर रहे हैं। परिष्कृत होने के बाद इन पत्थरों को दुनियाभर के लोग अपने शोध में इस्तेमाल कर पाएंगे।

पत्थरों पर लगे हैं आदिमानवों के हाथ
डॉ. व्यास के अनुसार भेल इलाके में मिले पत्थर मामूली नहीं हैं। उनका मानना है कि इन पत्थरों पर आदिमानवों के हाथ लगे हैं। पत्थरों की डिजाइन के अनुसार यह पत्थर उस युग में इस्तेमाल किए गए होंगे जब इंसान ने लोहे के उपयोग से अनभिज्ञ था। यही कारण है यह पत्थर काफी महत्वपूर्ण हो जाते हैं। उन्होंने इन पत्थरों पर रिसर्च शुरू कर दिया है जल्द वे इनके काल और समय पर से पर्दा हटा देंगे।

भोपाल सबसे समृद्ध इलाका
पुरातत्वविद मानते हैं कि पाषाण युग से भोपाल का गहरा नाता है। यहां कईं सभ्यताओं ने जन्म लिया और खत्म भी हो गईं। इसके अलावा रायसेन, सीहोर और नरसिंहगढ़ के इलाके भी उस युग का प्रत्यक्ष प्रमाण हैं। पुरातत्वविदों के अनुसार यहां की आबोहवा में कई संस्कृतियों की खुश्बू घुली मिली हुई है। इन इलाकों में हमेशा इस पर काम होता रहेगा और यह काम करने वाले लोग कभी निराश नहीं होंगे।

बचाए रखना बड़ी चिंता
डॉ. नारायण व्यास मानते हैं कि भोपाल के आसपास हो रहे अंधाधुंध निर्माण कार्यों से हमारी सभ्यता की निशानियों को काफी नुकसान हो रहा है। उनके अनुसार आसपास अब भी पाषाणयुग की निशानियां बिखरी पड़ी हैं। पहाड़ों और जंगलों को काटने से पुरातत्व की दिशा में काम करने वाली अगली पीढ़ी को काफी नुकसान उठाना पड़ेगा। उन्हें हमारी सभ्यता को समझने में काफी दिक्कतों का सामना पड़ेगा।

चल रहा है रिसर्च
– भेल इलाके में जो पत्थर मिले हैं उनमें कुछ आदिमानवों द्वारा तराशे हुए हैं। कुछ चमकदार पत्थर भी जिन्हें औजार के रूप में इस्तेमाल किया जाता होगा। रिसर्च चल रहा है जल्द ही हम इसके काल की जानकारी निकाल लेंगे।
डॉ. नारायण व्यास, सेवा निवृत्त अधीक्षक, पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग

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