जी हां ये मामला है मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल का जहां एक नामी IPS अधिकारी किसी भी स्थिति में अपने पिता को छोड़ने के लिए तैयार नहीं है।
जबकि उसके पिता की मौत होने की बात तक सामने आ चुकी है और तो और उनका डेथ सार्टिफिकेट तक जारी किया जा चुका है, लेकिन बेटे का दिल है कि पिता को मृत मानने को तैयार ही नहीं है, ऐसे में यह एक माह से अपने पिता की लाश के साथ रह रहा है और पूछने पर अपने पिता का आयुर्वेद इलाज किया जाना बताता है।
ये है मामला…
MP के एडीजी रैंक के एक आइपीएस अफसर अपने मृत पिता का एक महीने से बंगले में इलाज करवा रहे हैं। उनको जिंदा बताकर बंगले पर तांत्रिकों से झाड़-फूंक करा रहे हैं। अस्पताल उनका डेथ वारंट जारी कर चुका है, पर अधिकारी को डॉक्टरों की बात का भरोसा नहीं है।
वे मान रहे हैं कि उनके पिता जीवित हैं और उन्हें इलाज की जरूरत है। इस मामले का खुलासा तब हुआ जब अफसर के दबाव में मृतक की सेवा कर रहे दो एसएएफ जवान बीमार हो गए और उन्होंने साथियों को ये बात बताई।
प्राप्त जानकारी के अनुसार डी-7, 74 बंगले में एडीजी (चयन एवं भर्ती) राजेंद्र कुमार मिश्रा निवास करते हैं। उनके साथ उनके पिता कालूमणी मिश्रा (84) भी रह रहे थे।
पिछले माह जनवरी की 13 तारीख को उन्हें फेंफड़ों में संक्रमण के चलते बसंल अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बसंल अस्पताल के डॉक्टरों का कहना है कि कालूमणी मिश्रा की अगले दिन 14 जनवरी को ही मौत हो गई थी और डेथ सर्टिफिकेट भी जारी कर दिया गया था।
नियमानुसार परिजनों को शव सौंप दिया गया था। इस मौके पर पुलिस के कुछ अफसर भी अस्पताल पहुंचे थे। पुलिस लाइन से शव वाहन भी बंसल हॉस्पिटल पहुंंचा, उस वाहन में ही एडीजी के पिता के शव को उनके बंगले तक ले जाया गया।
बंगले पहुंचने के बाद उनके घर मौजूद रिश्तेदार रोने लगे, तभी उनके शरीर में कथित रूप से कुछ हरकत हुई। इसके बाद राजेंद्र मिश्रा ने शव वाहन को यह कहकर वापस भेज दिया कि पिता के प्राण वापस आ गए हैं।
इसके बाद से अफसर के दबाव में बंगले पर ड्यूटी करने वाले एसएएफ के दो सुरक्षा कर्मी मृतक की सेवा कर रहे थे। लाश से उठती बदबू और संक्रमण के चलते दोनों बीमार हो गए तब मामले की हकीकत सामने आई। उन दोनों जवानों ने साथियों को बताया कि बंगले पर आयुर्वेदिक डॉक्टरों के साथ दूर-दराज से तांत्रिक भी झाड़-फूंक करने आ रहे हैं। यह जानकारी सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद दोनों जवान भीा गायब हो गए हैं।
जब पत्रिका रिपोर्टर मौके पर पहुंचा तो एडीजी राजेंद्र मिश्रा ने बाहर खड़े होकर ही बात की। बंगले के अंदर से बदबू आ रही थी। गेट पर खड़े जवान ने भी कहा कि कुछ दिनों से लगातार बदबू आ रही है। मिश्रा के बड़े भाई भी वहां मौजूद थे लेकिन वे चुप्पी साधे रहे। राजेंद्र मिश्रा से जब पूछा गया कि आयुर्वेद का कौन सा डॉक्टर इलाज कर रहा है तो वे अंदर चले गए।
13 जनवरी को पिताजी बंसल हॉस्पिटल में भर्ती कराया था। उन्हें लंग्स इनफेक्शन था। 14 जनवरी की शाम डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए। इसके बाद पिता को घर ले आए। पिता जीवित हैं, उनका आयुर्वेदिक उपचार चल रहा है। घर पर डॉक्टर उपचार करने आ रहे हैं। हालत बहुत सीरियस है, इसलिए वे उन्हें दिल्ली-मुंबई किसी बड़े हॉस्पिटल में ले जाने में असमर्थ हूं।
– राजेन्द्र मिश्रा, एडीजी चयन एवं भर्ती
एडीजी 13 जनवरी को पिता को लेकर बंसल हॉस्पिटल आए थे। उनको लंग्स संबंधी बीमारी थी। उनको डॉ.़ अश्विनी मलहोत्रा इलाज दे रहे थे। 14 जनवरी की शाम उनकी मौत हो गई। जिसका हमने डेथ सर्टिफिकेट भी जारी किया है।
– डॉ. डीके सत्पथी, पूर्व डायरेक्टर मेडिकोलीगल संस्थान
– डॉ. आरएन साहू, एचओडी, मनोचिकित्सा, गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल