script57 भाषाओं में सुनाई जाती है गीत रामायण, 8 दिन में तैयार होता था एक गीत | Songs are heard in 57 languages, Ramayana was prepared in 8 days | Patrika News

57 भाषाओं में सुनाई जाती है गीत रामायण, 8 दिन में तैयार होता था एक गीत

locationभोपालPublished: Feb 16, 2019 07:48:37 am

Submitted by:

hitesh sharma

भारत भवन में 37वें वर्षगांठ समारोह में मराठी गीत रामायण की प्रस्तुति, अरुषि के स्पेशल चाइल्ड ने गाए देशभक्ति गीत

news

57 भाषाओं में सुनाई जाती है गीत रामायण, 8 दिन में तैयार होता था एक गीत

भोपाल। भारत भवन में चल रहे 37वें वर्षगांठ समारोह में शुक्रवार को चार प्रस्तुतियां हुई। पहली सभा में अरुषि के स्पेशल चाइल्ड ने गायन-वादन की प्रस्तुति दी। इसके बाद बैतुल से आए कोरकू जनजाती के कलाकारों ने गदली और थापती नृत्य पेश किया तो उस्ताद अलाउद्दीन खां द्वारा 1918 में मैहर रिसायत में स्थापित मैहर वाद्यवृन्द(मैहर बैण्ड) के कलाकारों ने शास्त्रीय संगीत की सुरीली तान छेड़ी। सभा का समापन इंदौर के गीत रामायण दल ने किया। ग्रुप के अभय मानके ने बताया कि गीत रामायण की रचना 1956 में महाराष्ट्र के गजानन दिगंबर माडगुलकर ने की थी। इसे सुधीर फड़के ने संगीतबद्ध किया। इस रचना को आठ दिनों में रचकर, संगीतबद्ध कर रेडियो पर पेश किया जाता था। यह इतना प्रसिद्ध है कि इसका 57 भाषाओं में अनुवाद किया गया। इसमें 56 गीत है, जो लव-कुश अपने मुख से सुनाते हैं। कार्यक्रम में राम जन्म, सीत स्वयंवर, केवट प्रसंग और सेतू बंध प्रसंग को गाया गया।

स्पेशल चाइल्ड पेश किए सुरीली नगमें

समारोह की शुरुआत अरुषि संस्था के स्पेशल चाइल्ड ने अपनी सुरीली आवाज से की। सरगम कुशवाह, पूजा सिंह, श्यामभवी दीक्षित, अफ्शा खान, विवेक गोलदार और खुशी गुप्ता ने 6 गानों की प्रस्तुतियां दीं। कार्यक्रम की शुरुआत दिल है छोटा सा छोटी सी आशा… गीत से की। विवेव ने जहां मेरे देश की धरती… गाना पेश किया तो खुशी ने ये हमारा वतन, सरगम ने ऐ वतन वतन मेरे आजाद रहे तु… और श्यामभवी ने मेरा कर्मा तु… गाना पेश कर श्रोताओं को देशभक्ति से सराबोर कर दिया।
राग बसंत में पेश किया दादरा

कार्यक्रम की अगली कड़ी में हरदा के 16 कलाकारों ने गदली और थापती नृत्य की प्रस्तुति दी। ग्रुप के अनोखी लाल ने बताया कि शादी और त्यौहार के समय ढोल और बांसुरी पर महिला और पुरुष गदली नृत्य करते हैं। वहीं चैत्र मास फसल कटाई होने की खुशी में थापती नृत्य किया जाता है। ढोलक के साथ झांझ पर पूरा गांव झूमता है। ग्रुप ने जय मांडी गणपति, गंगा-जमुना डायी और नीला रंग मोटर… जैसे लोक गीतों पर अपनी संस्कृति को मंच पर जीवंत कर दिया। वहीं, मैहर बैंड के 9 कलाकारों ने श्रोताओं को शास्त्रीय संगीत की स्वरलहरियों में डूब दिया। ग्रुप ने राग वसंत में विलंबित दादरा पेश किया, जो द्रुत तीन ताल में निबद्ध था। इसके बाद गांधी भजन वैष्णव जन और होली पर लोक धुन पेश की।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो