कार्यशाला में सोमवार को एक्सपर्ट बालेन्द्र सिंह बालु और रवि सांगडे ने प्रशिक्षण दिया। बालु के अनुसार कलाकारों को म्यूजिक के बेसिक्स बताए जा रहे हैं। उन्हें गीतों का रियाज कराया जा रहा है। एक एक्टर को एक्टिंग के साथ सारेगामा… की भी बेसिक्स जानकारी होना चाहिए।
कई बार उन्हें डायलॉग के साथ कविता रूप में गाते हुए प्रस्तुति देना होती है। ये ट्रेनिंग उस समय बहुत काम आती है। इस सेशन के बाद उन्हें रिद्म में चलने की ट्रेनिंग दी गई। वहीं उन्हें मोटे राम का सत्याग्रह नाटक की रीडिंग भी कराई गई। बालु के अनुसार वर्कशॉप के अंत में आधा-आधा घंटे के चार नाटकों का मंचन पत्रकार भवन में ही किया जाएगा।
इसमें एसिड अटैक, एजुकेशन और फौज सहित सामाजिक मुद्दों को शामिल किया जाएगा। वहीं इन नवोदित कलाकारों द्वारा वर्कशॉप की ट्रेनिंग के बाद 10 और 11 सितंबर को दो नाटकों का मंचन शहीद भवन में किया जाएगा।
नुक्कड़ नाटक के माध्यम से दिया ऐतिहासिक धरोहर को बचाने का संदेश संगठन (एप्को ) के संयुक्त तत्वाधान में सोमवार को भीमबेटका पर्यटन स्थल की पर्यावरणीय समस्यायों के सामाधान के लिए नुक्कड़-नाटक का प्रदर्शन किया गया। नुक्कड़ नाटक के माध्यम से पर्यटक, गाइड, दुकानदार, ड्राईवर और स्थानीय लोगों को बताया गया कि वे ऐतिहसिक चट्टानों और इमारतों को क्षति न पहुंचाएं और यहां पॉलिथिन का यूज न करें।
इस मौके पर प्रो.डॉ. श्रीकान्त सिंह विभागाध्यक्ष, इलेक्ट्रॉनिक एवं मीडिया, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के इलेक्ट्रॉनिक एवं मीडिया विभाग के एचओडी प्रो. डॉ. श्रीकांत सिंह ने कहा कि पर्यटक एवं अन्य लोग जहां खाद्य पदार्थ का यूज कर रैपर, प्लाटिक के गिलास , पोलिथिन बैंग, फल के छीलके खाद्य-सामग्री इत्यदि वहीं पर छोड़ देते हैं।
वाहन से निकलने वाली गैसों व जगह-जगह पर लगे औद्योगिक चिमनियों से निकलने वाली प्रदूषित गैस इत्यदि भी ऐतिसाहिक धरोहरों व वहां के वातावरण को काफी प्रदूषित कर रही है।