हम तो शुरू से ही कह रहे है कि पिछली सरकार में बड़ा भ्रष्टाचार का खेल खेला गया है। हम सारे मामलो की जाँच करवाएँगे। हम एक जन आयोग बनाएँगे। सारे मामले उसको सौंपेगे। किसी को बख्शेंगे नहीं। सरकारी ख़ज़ाने को नुक़सान पहुँचाने वालों को छोड़ेंगे नहीं। अभी तो यह ट्रेलर है , अभी पूरी पिक्चर बाक़ी है। मुख्यमंत्री कमलनाथ शनिवार को दिल्ली से एमपी के नए भवन का शिलान्यास करेंगे। मुख्यमंत्री 12 और 13 जनवरी को दिल्ली में ही रहेंगे और 14 जनवरी को वापस भोपाल लौटेंगे।
यूं समझे बकाया का गणित-
कैग रिपोर्ट के मुताबिक 2016-17 की स्थिति में 5291.62 करोड़ बकाया वसूल नहीं हो सका है। इसमें 1923.92 करोड़ पांच साल से ज्यादा पुराना बकाया है। वहीं भू-राजस्व, स्टाम्प, खनन व जलकर की 392 औद्योगिक इकाइयों से 6270.37 करोड़ रुपए कम वसूले गए हैं। यह ऐसी राशि है जो टैक्स में चोरी की गई या अन्य तरीके से चपत लगाई गई। इसे भी वसूला जाना है।
इस तरह 11561.61 करोड़ का सीधा बकाया है। वहीं 21576.37 करोड़ बकाया निराकरण की जद वाली राशि है। 31 दिसंबर 2018 की स्थिति में इन तीनों राशि में में तीन हजार करोड़ तक की वृद्धि होने का अनुमान है, लेकिन इसे अभी रिकार्ड पर नहीं लिया गया है।
जानिए, मुख्यत: वसूली किससे होनी है-
– 1192.12 करोड़ के उत्पाद शुल्क का ज्वार-बाजरा से मदिरा उत्पादन में वसूल नहीं
– 653.08 करोड़ का नुकसान केवल राज्य के मदिरा उत्पादकों की भागीदार से हुआ
– 48.21 करोड़ रुपए की वसूली आबकारी नीति में बदलाव के कारण नहीं हो पाई
– 100.84 करोड़ रुपए परिवहन शुल्क के मामले में ज्यादा नहीं मिल सका
– 67.03 करोड़ रुपए 24 ठेकेदारों से खनन के वसूल नहीं हो सके
– 136.69 करोड़ रुपए खनन निगम ने सरकार को ठेकेदारों से लेकर जमा नहीं किए
– 1627.54 करोड़ रुपए जल कर के उद्योगों से जल संसाधन विभाग ने नहीं वसूले