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भोपाल

राजधानी के शाहपुरा झील को भी है मदद की दरकार

अतिक्रमण और नालों ने बिगाड़ी झील की सेहत, कागजों से बाहर नहीं आ पाईं योजनाएं

भोपालMay 04, 2018 / 04:02 pm

Amit Mishra

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भोपाल। ‘कभी मेरे किनारे साफ-सुथरा हुए करते थे, भागदौड़ भरी जिंदगी में से सुबह-शाम कुछ पल निकालकर खुली हवा में घूमने आने वालों की अच्छी खासी तादाद हुआ करती थी, पर अनदेखी ऐसी कि नालों का मुंह मेरी ओर मोड़ दिया गया है। जिसने मेरी सेहत ही बिगाड़ दी है, गंदे पानी के कारण मेरे आसपास बदबू फैली रहती है।

मेरे संरक्षण के लिए योजनाएं तो कई बनीं पर ये कागजों से बाहर ही नहीं निकल सकीं। उम्मीद थी कि मैं अपना पुराना वैभव फिर से पा सकूं, पर लगता नहीं है कि ये सपना हकीकत बन सकेगा। किनारों को कचरे से पाट दिया गया है, जिससे सांस लेना तक मुश्किल हो गया है। बड़ा तालाब के संरक्षण के लिए शुरू की कवायद से उम्मीद बंधी है कि मुझे भी गंदगी और नालों से मुक्ति मिल सकेगी।Ó ये दास्तां शाहपुरा की झील की है जो विभिन्न सरकारी महकमों की अनदेखी का शिकार है।

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तीस मीटर दूर है निगम कार्यालय
नए भोपाल के प्रमुख पयज़्टक स्थलों में शुमार शाहपुरा झील की अनदेखी का आलम ये है कि महज तीस मीटर दूर नगर निगम का जोन कायाज़्लय है, पर इसके बावजूद झील के आसपास गंदगी पसरी रहती है। कमोबेश यही स्थिति अतिक्रमण को लेकर है। झील के किनारों को कचराघर में तब्दील कर दिया गया है। नगर निगम ने यहां हॉकर्स कॉनर्र बनाकर इतिश्री कर ली है, पर सफाई व्यवस्था भगवान भरोसे ही है।

रोजाना मिल रहा हजारों लीटर गंदा पानी
शाहपुरा झील में त्रिलंगा, चार इमली, चूना भट्टी, शाहपुरा एवं 1100 क्वाटज़्स के नाले का पानी मिल रहा है। शाहपुरा झील के आसपास बसाहट बढऩे के साथ ही सीवेज निकासी की पुख्ता व्यवस्था नहीं होने से रोजाना हजारों लीटर गंदा पानी शाहपुरा झील में मिल रहा है। इससे जलीय जीवन पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है। इसके अलावा तालाब किनारे ही कपड़े धोए जाते हैं।

ट्रीटमेंट प्लांट अधर में
शाहपुरा झील में मिल रहे नालों के गंदे पानी को रोकने के लिए नगर निगम ने सीवेज वॉटर ट्रीटमेंट प्लंाट लगाए जाने की कवायद तो शुरू की थी, पर ये योजना कागजों में ही उलझकर रह गई है। नगर निगम अधिकारियों के मुताबिक इस योजना के तहत झील में मिल रहे नालों के गंदे पानी को फिल्टर किया जाना है, ताकि झील में साफ पानी जा सके।


102 करोड़ का है प्रोजेक्ट
नगर निगम सिटी इंजीनियर सुभाष गुप्ता के मुताबिक बड़ा तालाब, छोटा तालाब एवं शाहपुरा झील के संरक्षण के लिए सात सीवेज प्लांट बनाए जाना हैं। कोलूखेड़ी, शाहजहांनी पाकज़्, स्वणज़्जयंती पाकज़्, एकांत पाकज़्, सूरज नगर एवं नीलबड़ में ये प्लांट बनाए जाएंगे। इनमें 102 करोड़ की लागत आएगी। इस प्रोजेक्ट को पूरा होने में दो साल लगेंगे। गुप्ता ने बताया कि प्लांट के बनने से जल स्त्रोतों में नालों का पानी सीधा नहीं मिल सकेगा। फिलहाल सवेज़् का काम किया जा रहा है।

शाहपुरा झील के संरक्षण को लेकर हम चितिंत है। इसकी सफाई और गहरीकरण जल्द किया जाएगा। इसके साथ ही सीवेज प्लांट के लिए टेंडर जारी कर दिया है। काम शुरू हो चुका है। मैं लगातार इसकी मॉनीटरिंग कर रहा हूं।
-आलोक शमाज़्, महापौर

नगर निगम जो सीवेज प्लांट लगा रहा है, वह आउटडेटेड तकनीक का है। इससे झील की सफाई नहीं हो सकेगी। निगम को नई तकनीक का सीवेज प्लांट लगाना चाहिए। बड़े तालाब के समान ही शाहपुरा झील के लिए चिंता करनी चाहिए।
-सुभाष सी पांडेय, पयाज़्वरणविद्

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