इस महाकुंभ के संबंध में भाजपा की ओर से दावा किया जा रहा है कि जंबूरी मैदान में 25 सितंबर को होने जा रहा पार्टी कार्यकर्ताओं का महाकुंभ किसी भी राजनीतिक दल का विश्व में सबसे बड़ा कार्यक्रम होगा। कार्यकर्ता महाकुंभ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भी आ रहे हैं।
इसमें आने वाले कार्यकर्ताओं को कार्यक्रम स्थल पर भोजन के साथ राजधानी के बाहर जाने वाले चार रास्तों पर भी खान-पान की व्यवस्था की गई है। माना जा रहा है कि इससे पहले में 2008 और 2013 को हुए महाकुंभ से भी यह बड़ा होगा।
जंबूरी मैदान में अभी से भोजन की व्यवस्थाएं शुरू हो चुकी हैं। यहां एक ओर जहां बालूशाही का अंबार लगा दिख रहा है वहीं दूसरी ओर डोम-टेंट को पूरी तरह से सजने की तैयारियां अंतिम चरण हैं। जबकि मैदान में एक सफेद रंग का हेलीकॉप्टर भी चक्कर लगा रहा है।
ऐसे में जानकारों का भी कहना है कि इस कार्यक्रम की तैयारियो को देखकर ही लगता है कि इस पर काफी ज्यादा खर्च किया जा रहा है। वहीं पिछले दिनों वहीं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह कार्यक्रम की तैयारियों का जायजा लेने जंबूरी मैदान में पहुंचे थे।
वहीं इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंत्रालय एनेक्सी का लोकार्पण और भोपाल मेट्रो परियोजना की नींव भी रख सकते हैं।
वहीं सूत्रों का कहना है कि इसमें सीहोर के शेरपुर में हुए किसान सम्मेलन और अमरकंटक में हुए कार्यक्रम के मुकाबले सर्वाधिक बसें लगेंगी। अनुमान लगाया जा रहा है कि इस पूरे आयोजन में 50 करोड़ रुपए से अधिक राशि खर्च होगी।
10 लाख कार्यकर्ताओं का दावा
भाजपा का दावा है कि 10 लाख कार्यकर्ता आएंगे। यदि इसके आधे यानी 5 लाख लोगों के आने का भी अनुमान लगाया जाए और इनके भोजन के खर्च का आंकलन करें तो प्रतिव्यक्ति 50 रुपए व्यय होंगे। इस हिसाब से ढाई करोड़ रुपए लगेंगे। (मैन्यू: बालूशाही, छोले, सब्जी, रायता, पूड़ी और दाल-चावल)
टिकटार्थियों के साथ-साथ अन्य नेता व कार्यकर्ता करीब 8 से 10 हजार व्यक्तिगत वाहनों से आएंगे। इस पर भी 7 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। आठ ट्रेनों से भी लोग आएंगे।
भेल क्षेत्र में जंबूरी मैदान तक जाने के लिए सड़क कुछ जगहों पर खराब है। लंबे समय से स्थानीय लोग इसे दुरुस्त करने की मांग कर रहे थे, जो पूरी नहीं हुई। अब भाजपा के कार्यक्रम के मद्देनजर इसे आनन-फानन में तेजी से बनाया जा रहा है।
इस बार 10 हजार बसों के आने की बात की जा रही है। चूंकि हर बूथ से लोगों को लाने की बात की जा रही है यानी भोपाल आने में औसत 600 किमी बसें चलेंगी। इस हिसाब से 24 करोड़ खर्च बैठता है, लेकिन आयोजन से जुड़े लोगों का कहना है कि इसका आधा यानी 12 करोड़ खर्च हो सकते हैं।
डोम, टेंट, लाइट सिस्टम, मंच व्यवस्था, 40 से अधिक एलईडी और साउंड सिस्टम पर खर्च का अनुमान है। स्टेशन पर तमाम व्यवस्थाओं के साथ होर्डिंग्स व कैंपेन का व्यय भी शामिल हैं।
इस दौरान नगर निगम व शासन की ओर से रोड का निर्माण, ग्राउंड की लेवलिंग, ट्रांसफार्मर, बिजली और पानी की व्यवस्था के साथ पुलिस की मौजूदगी का व्यय अलग है।
वहीं दूसरी ओर एट्रोसिटी एक्ट में संशोधन का विरोध कर रहे सवर्ण समाज के लोगों ने विरोध का एक नया तरीका खोज लिया है। सपाक्स समाज के संरक्षक हीरालाल त्रिवेदी का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी दिनांक 25 सितंबर को भोपाल प्रवास पर हैं। ऐसे में विरोध रोकने के लिए सरकार ने कई नियम बना दिए हैं।