संजीव तीन भाइयों में दूसरे नंबर का था। उसके बड़े भाई की भी पांच साल पहले मौत हो चुकी है। संजीव के एक बेटी है। उनके दोस्त राजीव ने बताया कि परिजन जन्मदिन मनाने के लिए संजीव के घर आने का इंतजार कर रहे थे। इसी बीच उनके हादसे की सूचना घर पहुंची। गांव के लोगों ने मौके पर पहुंचकर उन्हें अस्पताल पहुंचाया।
पूरे घटनाक्रम में अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही उजागर हुई है। अस्पताल ने संजीव की मौत की सूचना पुलिस को दिए बिना शव परिजनों को सौंप दिया। परिजनों ने बिना पीएम कराए मंगलवार को अंतिम संस्कार कर दिया। पुलिस को संजीव की मौत की सूचना नहीं देने के बारे में जब नोबल अस्पताल की एमडी पद्मा मिश्रा से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने फोन नहीं उठाया।
टक्कर इतनी भीषण कि कार के एयरबैग भी नहीं बचा पाए जान
कार पेड़ से ड्राइवर सीट के पास टकराई है। हादसे के वक्त रफ्तार इतनी अधिक थी कि कार बीच से बैंड हो गई। हादसे के बाद कार के एयरबैग खुले, लेकिन वे भी संजीव को नहीं बचा सके। वजह यह रही कि कार सीधे ड्राइवर सीट के पास पेड़ से टकराई थी। नीचे गहरी खाई थी। कार पेड़ में फंसकर लटकी रह गई। कार के अगले-पिछले हिस्से में कोई टक्कर के निशान नहीं हैं। सड़क में भी ब्रेक लगाने से टायरों के घिसटन के निशान नहीं हैं। ऐसे में माना जा रहा कि संजीव की कार अनियंत्रित होने के बाद सीधे पेड़ से जा टकराई है।
केएल दांगी, टीआई कटारा थाना
किन परिस्थितियों में हादसा हुआ है, इसकी जांच की जाएगी। अस्पताल प्रबंधन ने पुलिस को युवक की मौत की सूचना क्यों नहीं दी इसको लेकर जांच की जा रही है। लापरवाही सामने आने पर कार्रवाई की जाएगी।
दिनेश कौशल, एएसपी