नाटक में युद्ध के दृश्यों को दिखाने के दिखाने के लिए एलईडी का इस्तेमाल किया गया। जो दृश्यों को प्रभावी बना रहा था। नाटक में १५ कलाकारों ने ऑनस्टेज अभिनय किया। नाटक का निर्देशन अशोक बुलानी और लेखन मोहन गेहानी ने किया है। ये प्रस्तुति सिंधी रंग समूह ने दी।
सस्ता के चाटुकार लाभ हासिल
नाटक की शुरुआत राजा के महल से होती है। जहां वह कलाकारों को पुरस्कृत करता है। तभी वहां एक ब्राह्मण आता है और इस बात पर आपत्ति जताता है। वह कहता है कि उसे नौकरी के साथ बंगला और घोड़ा गाड़ी दे दी जाए तो वह पूरे राज्य में राजा का यशगान करेगा।
तभी राजा पूछता है कि यदि वह कोई गलत फैसला लेता है तब वह क्या करेगा। ब्राह्मण कहता है कि वह तब भी राजा की जय-जयकार करता रहेगा। इस बात पर राजा बहुत क्रोधित होता है कि वह गलत फैसले में कैसे उसकी जय कर सकता है। वह उसे पूरे राज्य में गधे पर बैठाकर घुमाए जाने की सजा देता है। इस बात से नाराज होकर ब्राह्मण राज्य को नष्ट करने का प्रण लेता है।
कासिम के हाथों होती है हार
सातवीं शताब्दी की शुरुआत में मोहम्मद बिन कासिम राज्य पर हमला कर देता है, लेकिन हर बार उसे हार का सामना करना पड़ता है। वह राज्य के राज जानने के लिए किसी भेदिए की तलाश करता है। तभी उसके पास ब्राह्मण पहुंचता है और सारे राज बता देता है। अंतत: राजा की हार के बाद हत्या कर दी जाती है। कासिम अपने खलिफा को खुश करने के लिए राज्य की बेशुमार दौलत के साथ दोनों बेटियों को भी पेश कर देता है।
राजकुमारियां राजा से कहती है कि कासिम उनके सामने झुठन पेश कर रहा है। खलिफा उसे मौत की सजा दे देता है। तब दोनों खलीफा को बताती है कि उन्होंने अपने पिता की मौत का बदला लेने के लिए झूठ बोला था। अंत: में वे गुलामी स्वीकार करने की बजाए दोनों अपनी कटार से आत्महत्या कर लेती है।