प्रसव के लिए जिला अस्पताल रैफर की गई महिलाओं के आंकड़ों पर यदि नजर डाली जाए तो गर्भवती महिलाओं को बिना देखे ही रैफर कर दिया गया है। जिनमें से अधिकांश महिलाओं की जिला अस्पताल पहुंचने के बाद नार्मल डिलेवरी कराई गई है। जबकि प्रत्येक ब्लॉक में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर छह स्टाफ नर्सों का प्रशिक्षित अमला इसी काम के लिए तैनात किया गया है। 30 बेड की सुविधा भी उपलब्ध है। जिससे साधारण प्रसव स्वास्थ्य केंद्र पर कराया जा सकता है, लेकिन ऐसा न करके गर्भवती महिलाओं को सीधे बैतूल जिला अस्पताल रैफर कर दिया जाता है। बताया गया कि जनवरी से सितंबर माह तक 3000 गर्भवती महिलाओं को प्रसव के लिए जिला अस्पताल रैफर कर दिया गया। इनमें सीधे अस्पताल आने वाली महिलाओं की संख्या भी ज्यादा है। जबकि इनमें से 80 प्रतिशत महिलाओं को सामान्य प्रसव कराया गया।
रैफर सिस्टम के चक्कर में खासकर गर्भवती महिलाओं को काफी ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में बगैर देखे गर्भवती महिला को गंभीर बताकर रैफर कर दिया जाता है। जिसकी वजह से रास्ते में ही उसकी डिलेवरी हो जाती है। बीते कुछ महीनों में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं। जिनमें 108 वाहन को बीच रास्ते में रोककर गाड़ी के अंदर ही महिला की डिलेवरी करना पड़ा हैं। गर्भवती महिलाओं की गंभीर स्थिति को देखने के बाद भी स्वास्थ्य केंद्रों द्वारा सतर्कता न बरतते हुए उन्हें रैफर कर दिया जाता है। यही कारण है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में समस्त संसाधन और अमला होने के बाद भी किसी काम नहीं आ रहा है। जबकि रैफर जैसी समस्याओं के चलते ही प्रशिक्षित स्टाफ को स्वास्थ्य केंद्रों पर तैनात किया गया था, लेकिन स्टाफ सही तरीके से ही अपना काम नहीं कर पा रहा है।
जिला चिकित्सालय में रैफर किए जाने वाले सामान्य प्रसव प्रकरणों की सिविल सर्जन समीक्षा कर चुके हैं। उन्होंने घोड़ाडोंगरी, शाहपुर, भैंसदेही, आठनेर, प्रभात पट्टन, मुलताई, आमला विकासखंडों से रैफर किए गए सामान्य डिलेवरी केसेस की विस्तृत समीक्षा की। सिविल ने कहा कि डिलेवरी केसशीट में पूर्ण जानकारी दर्ज की जाए, केस की संपूर्ण जांच की जाए, प्रसव के दौरान खतरे की पहचान की जाए। आवश्यकतानुसार अत्यधिक जोखिम वाली उन्हीं महिलाओं को ही जिला चिकित्सालय रैफर किया जाए,जिनका प्रसव सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर नहीं हो सकता है।
इनका कहना
– जिला अस्पताल के मेटरनिटी वार्ड में 56 बेड हैं, लेकिन रैफर सिस्टम की वजह से हालत बिगड़ गए हैं। जिले के दसों ब्लॉकों में नार्मल डिलेवरी की सुविधा उपलब्ध है और प्रशिक्षित स्टॉफ भी हैं, लेकिन गर्भवती महिलाओं को अनावश्यक रैफर किया जाता है।
– डॉ अशोक बारंगा, सिविल सर्जन जिला अस्पताल बैतूल।