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रेन वॉटर हार्वेस्टिंग : एक हजार वर्गफीट की एक छत से सहेज सकते हैं आठ लाख लीटर पानी

locationभोपालPublished: Jul 15, 2019 10:10:50 am

Submitted by:

KRISHNAKANT SHUKLA

बूंद-बूंद पानी नहीं सहेजा तो भविष्य में भोपाल में भी हो जाएंगे चेन्नई जैसे हालात
हर साल छतों से बेकार बह जाता है 24 हजार 800 करोड़ लीटर बारिश का पानी

@प्रवीण मालवीय, भोपाल . नीति आयोग ने ‘कंपोजिट वाटर मैनेजमेंट इंडेक्स’ रिपोर्ट में बताया है कि अगर हमने भूजल को बचाने के लिए सतर्क नही΄हुए तो 2020 में मध्यप्रदेश सहित देश के 21 शहरों को भयंकर भूजल संकट का सामना करना पड़ेगा। भोपाल इस सूची में शामिल नहीं है, लेकिन इस बार गर्मी में पेयजल संकट के जो विकट हालात बने उनके कारण राजधानी की दस लाख से ज्यादा आबादी पानी के लिए त्राही-त्राही कर उठी।

पानी की जगह हवा फेंकने लगे हैंडपंप

बड़ा तालाब, कलियासोत, केरवा डैम जवाब दे गए। दूसरी ओर भूजल इतना नीचे चला गया कि नलकूप और हैंडपंप पानी की जगह हवा फेंकने लगे। मजबूरन प्रशासन को निजी बोर पर पाबंदी लगानी पड़ी। राजधानीवासियों के पास अभी भी वक्त है। अगर हम बूंद-बूंद सहेजने के लिए नहीं चेते तो आने वाले समय में चेन्नई जैसे महाजल संकट का सामना करना पड़ेगा।

भूजल को बचाने के लिए सबसे कारगर उपाय है रेन वाटर हार्वेस्टिंग। लेकिन सरकार, प्रशासन और नगर निगम की उदासीनता के चलते इसे सख्ती से लागू नहीं किया जा रहा। शहर में होने वाली सामान्य बरसात के दौरान यदि सही तरीके से वॉटर हार्वेस्टिंग कर दी जाए तो एक हजार वर्गफीट की एक छत से आठ लाख लीटर से अधिक पानी सहेजा जा सकता है।

rainwater harvesting

 

एक अनुमान के मुताबिक शहर की नगर निगम सीमा में साढ़े चार लाख से अधिक मकान हैं। विशेषज्ञों के अनुसार औसत लगभग 700 वर्गफीट प्रतिछत का बैठता है। ऐसे में 31 करोड़ 50 लाख वर्गफीट की छतों से 24 हजार 800 करोड़ लीटर पानी को जमीन में उतारा जा सकता है।

ऐसे में बारिश का करोड़ों लीटर अमृत व्यर्थ बह जाता है। शहर में मात्र 10 हजार परिवारों ने वॉटर हार्वेस्टिंग कराई है, जिनमें से इसे सही तरीके से सफलता पूर्वक चला रहे परिवारों की संख्या पांच हजार से भी कम है।

हालात बेहद भयावह

पांच साल में 200 से 400 फीट नीचे पहुंचा भूजलस्तर

जल विशेषज्ञ संतोष वर्मा बताते हैं कि शहर में पांच साल पहले ही 200 से 300 फीट पर पानी मिल जाता था, लेकि अब यह 400फीट पार कर गया है। आज स्थिति यह है चूना भट्टी क्षेत्र में 1450 फीट गहरा बोर वैल तक सूखा पड़ा है, जबकि कलियासोत डेम की पाल से लगे 700 फीट तक के गहरे बोर भी सूख रहे हैं।

एमपी नगर में भूजल 600 फीट से अधिक गहराई में चला गया है। होशंगाबाद रोड की कॉलोनियों, कटारा जैसे क्षेत्रों में भी ये 550 फीट से नीचे हैं। कोलार, पिपलानी, अयोध्या नगर समेत शहर के कई क्षेत्रों में जलस्तर 550 फीट से नीचे चला गया है। इसी भूजल स्तर को दुरुस्त करने छत का पानी जमीन में उतारना जरूरी है।

 

हैरत तो ये है कि मप्र में अनिवार्य किया जा चुका है सिस्टम लगाना

मप्र भूमि विकास नियम 1984 की धारा 78 के तहत 140 वर्ग मीटर और इससे अधिक आकार के प्लॉट पर निर्माण करने पर रूफ वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगना अनिवार्य है। 26 दिसंबर 2009 से सिस्टम को जरूरी किया हुआ है। इसके लिए रिफंडेड सुरक्षा निधि जमा कराई जाती है। निगम के खजाने में इस सुरक्षा निधि के करोड़ों रुपए जमा हो गए। अब इसी राशि से निगम खुद सिस्टम लगवाएगा।

एक परिवार के लिए साल भर की जरूरत से ज्यादा पानी मिलता है

विशेषज्ञ संतोष वर्मा बताते हैं, बारिश का पानी, जल का सबसे शुद्ध रूप होता है, बस छत या शेड आदि पर गिरने के बाद वहां मौजूद धूल या कचरे के ही उसमें मिलने का खतरा होता है, इसलिए विशेष फिल्टर लगाया जाता है। चार से पांच व्यक्तियों का एक परिवार साल भर में पांच लाख लीटर पानी उपयोग करता है। एक हजार वर्गफीट की छत से हार्वेस्ट किया गया आठ लाख लीटर पानी उनकी साल भर की जरूरत से कहीं ज्यादा है।

 

अब टूटी नींद: नगर निगम 50 हजार घरों में लगवाएगा रूफ वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम

नगर निगम ने आपके घर की छत का पानी जमीन में उतारने कवायद शुरू की है। चिह्नित मकानों के मालिकों से चर्चा कर निगम स्तर पर रूफ वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाने समिति का गठन किया जा रहा है। इसमें क्षेत्रीय पार्षद व इंजीनियर होंगे। यदि ईमानदारी से काम हुआ तो अगले साल लाभ मिलेगा।

शुरुआती आकलन के अनुसार करीब 50 हजार घरों में सिस्टम लगेगा। नगर निगम परिषद ने बजट में इसके लिए 10 करोड़ रुपए का प्रावधान रखा है। फिलहाल 140 वर्गमीटर से बड़े प्लॉट वाले मकानों को इसमें शामिल किया जाएगा, इसके बाद छोटे आकार के मकान रहेंगे। भवन अनुज्ञा शाखा नोडल की भूमिका निभाएगी। जिन मकानों ने मंजूरी ली और बाद में जमा सुरक्षा निधि वापिस नहीं ली, उनकी पूरी सूची भवन अनुज्ञा के पास है। महापौर आलोक शर्मा का कहना है कि जब लोग खुद नहीं लगाएंगे तो निगम का सिस्टम लगाना ही होगा।

इनसे सीखें… बारिश के बाद बढ़ जाता है ढाई इंच पानी

रोहित नगर फेस टू निवासी बृजेश चौरसिया निर्माण व्यवसाय से जुड़े हैं। बृजेश बताते हैं मैं खुद के घर के साथ 50 से अधिक मकानों में वॉटर हार्वेस्टिंग करा चुका हैं। रोहित नगर के ही फेस थ्री से लेकर आसपास की कॉलोनी नीरज नगर, आकृति ग्रीन में भूजल स्तर गिरने से गर्मियों में पानी की समस्या आ रही है, लेकिन मेरे घर या आसपास कोई समस्या नहीं आती। लगातार बरसात के पानी को बोरिंग में उतारने का फायदा यह होता है कि बरसात के पहले जहां दो इंच पानी होता है वहीं बरसात के आखिर तक यह बढ़कर ढाई इंच हो जाता है और पानी साल भर चलता है।

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