गन्ना एक्सपर्ट बताते हैं कि प्रदेश में कुल गन्ना उत्पादन का 65 प्रतिशत गन्ना खांडसारी (गुड) बनाने में जाता है जबकि 35 प्रतिशत गन्ना शुगर मिलों में जाता है। नवंबर-दिसंबर माह में मिलों में पहुंचने वाले गन्ने की रिकवरी कम निकलती है, जबकि मार्च-अप्रैल में आने वाले गन्ने में रिकवरी ज्यादा आती है। इसलिए किसानों को चाहिए कि वे थोड़ा-थोड़ा गन्ना मिलों को विक्रय करें तो उन्हें मूल्य भी ज्यादा मिलेगा।
मांगों को लेकर हबीबगंज स्टेशन से विधानसभा जा रहे किसानों को पुलिस ने बोर्ड ऑफिस चौराहे के पहले बीआरटीएस डेडीकेटेड लेन में बेरीकेट्स लगाकर रोक दिया। डेडीकेटेड लेन में किसानों को रोककर रखने से लो-फ्लोर बसों का संचालन बोर्ड ऑफिस से लेकर प्रगति पंप चौराहे तक मिक्स लेन में हुआ। मिक्स लेन में लो-फ्लोर के संचालन से चौराहे के आसपास वाहनों की लंबी कतार लगती रही। करीब तीन घंटे तक यह हालात बनते रहे। किसान विधानसभा तक नहीं पहुंच सकें इसके लिए पुलिस ने उन्हें हबीबगंज रेलवे स्टेशन पर घेर लिया था। पुलिस के पहरे में किसान हबीबगंज स्टेशन से बोर्ड आफिस चौराहे तक पहुंचे।
डॉ. साधुराम शर्मा, पूर्व गन्ना आयुक्त
कृषि मंत्री ने गन्ने के भाव बढ़ाने का आश्वासन दिया है। एक सप्ताह तक मांगें पूरी नहीं हुई तो दोबारा राजधानी में बड़ा आंदोलन करेंगे।
विनायक परिहार, अध्यक्ष, किसान संघर्ष समिति