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प्रो. आरजे राव होंगे बीयू के कुलपति, राज्यपाल के सचिव डीडी अग्रवाल को भोज का प्रभार

locationभोपालPublished: Sep 18, 2018 01:24:45 am

Submitted by:

Ram kailash napit

राजभवन ने भोज विवि के लिए पैनल से नहीं चुना नाम

patrika

Barkatullah University

भोपाल. जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर के रैक्टर और जूलॉजी विभाग के प्रोफेसर आरजे राव बरकतउल्ला विवि के नए कुलपति होंगे। वहीं भोज विवि के कुलपति पद की जिम्मेदारी राज्यपाल के सचिव डीडी अग्रवाल को सौंपी गई है। राजभवन ने सोमवार को इन दो विवि के कुलपति के नामों की घोषणा कर दी। बरकतउल्ला विवि में धारा 52 नौ अगस्त को समाप्त हो चुकी है, जबकि भोज विवि में 18 सितंबर को धारा 33 समाप्त हुए 06 माह हो जाएंगे। यानी वर्तमान कुलपति प्रो. आरआर कान्हेरे का विस्तारित कार्यकाल 18 सितंबर को समाप्त हो गया है। डीडी अग्रवाल मंगलवार को और प्रो. आरजे राव बुधवार को पदभार ग्रहण कर सकते हैं।

भोज विवि में ये हैं गंभीर विवाद-
भोज विवि में सबसे बड़ा विवाद यहां पर कर्मचारियों के वेतन वितरण का है। गलत नियुक्तियों के चलते आडिट लगातार वेतन देने पर रोक लगाते हुए वसूली निकाल रहा है। ऐसे में प्रभारी कुलपति को वेतन वितरण सबसे बड़ी समस्या के रूप में सामने आएगा।
दूसरा बड़ा विवाद यहां पर कर्मचारियों की नियुक्ति को लेकर स्टे है। शासन ने यहां पर की गई नियुक्तियों को निरस्त कर दिया है, लेकिन कर्मचारी इस मामले में कोर्ट से स्टे ले आए हैं। स्टे 90 दिन में वैकेट हो जाना चाहिए, लेकिन पिछले चार साल से स्टे के दम पर कर्मचारी वेतन उठा रहे हैं।
तीसरा विवाद यहां शासन द्वारा गोपनीय विभाग का डायरेक्टर बनाने के लिए भेजे गए एके त्रिपाठी को तत्कालीन कुलपति कुलपति आरआर कान्हेरे द्वारा डायरेक्टर न बनाना।

चौथा बड़ा विवाद निलंबित डायरेक्टर प्रवीण जैन को लेकर की जाने वाली कार्रवाई है। जैन के विरुद्ध तमाम आरोप सिद्ध हो चुके हैं, लेकिन अभी तक उस पर कार्रवाई नही की गई है।
इसके अलावा, बीएड परीक्षा के परिणाम। यहां की फैकल्टी के बीच चल रहा विवाद भी महत्वपूर्ण है

ये है बीयू के विवाद—
विवि के बीयूआई विभाग में शिक्षकों की नियुक्ति और उनका वेतन।
विवि में 91 के संशोधन के बाद नियुक्त किए गए शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक कर्मचारियों की नियुक्ति। 92 के बाद से की गई नियुक्तियों का वेतन अभी भी प्रतिबंधित निकल रहा है। शासन से बिना पद स्वीकृत कराए नियुक्ति कर दी गई।
महिला अध्ययन केंद्र की स्थापना को लेकर विवाद।
इसके अलावा विवि के विभिन्न विभागों में गलत तरीके से चले रहे पाठ्यक्रम।

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