यह रहा दिल्ली का रियल टाइम प्रदूषण
केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार दिल्ली में शाम सात बजे एक्यूआई 281 दर्ज किया गया। रात आठ बजे से बढ़कर 291 और नौ बजे294 हो गया। केन्द्र की ओर से संचालित सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी फॉरकास्टिंग एंड रिसर्च ने समग्र एक्यूआई 319 दर्ज किया गया जो बेहद खराब की श्रेणी में आता है।
दीपावली की आतिशबाजी से शहर की हवा सात गुना तक प्रदूषित हो गई। सात सितम्बर को दोपहर तीन बजे से आठ सितम्बर की दोपहर तीन बजे तक तीन-तीन शिफ्टों में किए मापन की औसत रिपोर्ट में प्रदूषण की बेहद चिंताजनक तस्वीर सामने आई है।
क्षेत्र पीएम 10 पीएम 2.5 एक्यूआई प्रदूषण की स्थिति
हमीदिया रोड 198.9 142.4 317.41 बेहद प्रदूषित
अरेरा कॉलोनी 179.7 117.2 290.16 मध्यम
गोविंदपुरा 157.8 124.5 303.47 बेहद प्रदूषित
मानक : पीएम 10 का स्तर 100 मिलीग्राम प्रति घन मीटर एवं पीएम 2.5 का स्तर 60 मिलीग्राम प्रति घन मीटर से नीचे होना चाहिए।
दीपावली के दिन आतिशबाजी किए जाने से प्रदूषण का स्तर हर साल बढ़ता है, अच्छी बात यह है कि इस बार प्रदूषण स्तर पिछली बार से 5-10 फीसदी कम रहा, इस बार लोगों ने पटाखे चलाने का टाइम फॉलो किया है। दीपावली का जो प्रदूषण दर्ज किया गया था, वह धीरे-धीरे घट रहा है, अब स्थिति बेहतर है। हम तीन शिफ्ट में जांच करके औसत निकालते हैं, किस समय प्रदूषण किस स्तर पर पहुंचा यह नहीं बता सकते। कोई अलर्ट जारी नहीं किया है, गुणवत्ता की रिपोर्ट केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और प्रशासन को भेजी जाएगी।
पीएस बुंदेला, क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
शहर में प्रदूषण का स्तर जिस बिंदु तक पहुंच गया है वह कार्डियोवेस्कुलर डिसीज और अस्थमा पीडि़तों के लिए प्राणघातक है। पूरे देश के लिए एक्यूआई का स्तर समान है, यदि दिल्ली के अधिकतम और शहर के औसत का आंकड़ा पास पहुंच रहा है तो तय है कि शहर में दीपावली की रात यह कई गुना अधिक रहा होगा। इसमें भी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कई आंकड़े छुपा रहा है, शहर में मात्र तीन स्थानों पर जांच की गई, जिसमें भी पीक अवर्स के आंकड़े जारी नहीं किए गए हंै। शहर के लोगों ने आतिशबाजी के दौरान कितना जहर फेंफड़ों में लिया इसकी जानकारी दी ही नहीं गई। ध्वनि प्रदूषण मापना भी बोर्ड की ही जिम्मेदारी है, जबकि वैज्ञानिक घरों में दीपावली मनाते रहे। शहर में निकलकर ध्वनि प्रदूषण ही रिकॉर्ड नहीं किया।
सुभाष सी पांडेय, पर्यावरणविद्