पत्रिका टीम शनिवार को आश्रम पहुंची। यहां ताला लगा मिला। टीम को देखकर एक बुजुर्ग महिला कमरे में चली गई। यह सब बारह वर्षीय मूक-बधिर देख रहा था। वह मैडम को बाहर बुलाने के लिए चीखा। ये देख मैडम अंदर से ही उसके साथ बदसलूकी करते हुए भगाने लगी। इसी बीच पुलिस को अधिकारी मौके पर पहुंचे। जांच टीम के सामने 14 लड़कियां डरी-सहमी दिखीं। टीम ने जब उनसे पूछताछ की, तो वह अपना दर्द बयां नहीं कर सकीं। अन्य लड़कियों ने बताया कि इनके साथ यौन उत्पीडऩ हुआ है।
आश्रम में बच्चे-बच्चियों के लिए अलग-अलग व्यवस्था नहीं है। एक कमरे में मीता के पति का अड्डा है।
आश्रम में बच्चियों के टॉयलेट का उपयोग मीता का पति भी करता था। इसी के बहाने ताक-झांक करता था।
आश्रम में सीसीटीवी कैमरे, एंट्री रजिस्टर और गार्ड भी नहीं हंै।
बच्चों के रख-रखाव, देखभाल के लिए कोई नहीं।
अनुदान प्राप्त होने के बाद भी हॉस्टल का निरीक्षण नहीं होता था।
बच्चियों का स्वास्थ्य परीक्षण कभी नहीं कराया गया। अवस्थी को डर था कि कहीं उसकी पोल न खुले।
मूक-बधिर अनाथ युवक-युवतियों के साथ यौन शोषण के मामले में सामाजिक न्याय विभाग के संयुक्त संचालक मनोज तिवारी पल्ला झाड़ रहे हैं। इनके मुताबिक इस संबंध में कोई जांच नहीं की और न ही कोई जानकारी है। इधर, कलेक्टर ने विभाग की ही तीन संयुक्त संचालक स्तर की महिला अफसरों से जांच कराने के बाद रिपोर्ट शासन को भेज दी है। इसी के आधार पर एफआइआर के बाद आश्रम की मान्यता रद्द करने का प्रस्ताव भेजा है। छात्र-छात्राओं को अन्य आश्रम व हॉस्टल्स में शिफ्ट किया जाएगा। यहां संयुक्त संचालक को जांच टीम में शामिल न करने से उनकी भूमिका पर कई सवाल भी खड़े हो रहे हैं।
बच्चों के साथ मारपीट की शिकायत आई थी। सामाजिक न्याय विभाग की जांच के बाद संबंधित आश्रम को प्रतिबंधित कर दिया गया था।
अविनाश लवानिया, तत्कालीन कलेक्टर, होशंगाबाद
चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। प्रारंभिक जांच में आश्रम के अंदर कई स्तर की लापरवाही सामने आई है। पुलिस हर पहलुओं की जांच कर रही है।
हेमंत चौहान, एसपी
मामले में सामाजिक न्याय विभाग के अधिकारी से जांच कराने के बाद एफआइआर करा दी है। आश्रम की मान्यता रद्द करने का प्रस्ताव भेज
दिया है।
सुदाम खाडे, कलेक्टर
इस मामले में कोई जानकारी नहीं है, न मैंने जांच की है। इससे हमारा लेना-देना भी नहीं है
मनोज तिवारी, संयुक्त संचालक, सामाजिक न्याय विभाग
तीन महिला अफसरों से जांच कराई है। बच्चों से अलग पूछताछ की है। आरोप सही पाए गए हैं।
केजी तिवारी, आयुक्त, सामाजिक न्याय विभाग