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लोकसभा चुनाव से पहले पीएम मोदी का कमलनाथ सरकार को बड़ा झटका, वचन निभाना होगा मुश्किल

locationभोपालPublished: Feb 09, 2019 12:37:17 pm

Submitted by:

Faiz

लोकसभा चुनाव से पहले पीएम मोदी का कमलनाथ सरकार को बड़ा झटका, वचन निभाना होगा मुश्किल

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लोकसभा चुनाव से पहले पीएम मोदी का कमलनाथ सरकार को बड़ा झटका, वचन निभाना होगा मुश्किल

भोपालः अपने वचन पत्र को पूरा करने के लिए जीतोड़ मेहनत करने में जुटी मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार की लोकसभा चुनाव साधने के रास्ते में प्रधानमंत्री मोदी ने अड़ंगा लगा दिया है। दरअसल, बीते दिनों केन्द्र की मोदी सरकार ने देश के सभी छोटे कारोबारियों को बड़ी राहत देते हुए जीएसटी से छूट की सीमा को दोगुना करते हुए 40 लाख रुपये कर दिया है। इस व्यवस्था को आगामी एक अप्रैल से प्रभावी रूप से लागू कर दिया जाएगा। गुज़रे विधानसभा चुनाव में तीन राज्यों की बढ़त हासिल करने वाली कांग्रेस अब अपने वचन पत्र के ज़रिये लोकसभा चुनाव साधने में लगी हुई है। इनमें छत्तीसगढ़ और राजस्थान की आर्थिक स्थिति तो फिर ठीक है, लेकिन प्रदेश की कमलनाथ सरकार खाली पड़े खज़ाने से जूझते हुए अपने वचन पत्र को पूरा करने में जुटी हुई है। ऐसे में मोदी सरकार द्वारा व्यापारियों के लिए जारी की गई नई व्यवस्था से राज्य की कमलनाथ सरकार पर करोड़ों का भार पड़ने वाला है।

केन्द्र के फैसले से राज्य पर पड़ेगा ये असर

केन्द्र के इस फैसले के बाद राज्य के वित्त विभाग ने अनुमान लगाया है कि, अगर केन्द्र सरकार की ओर से व्यापारियों को जीएसटी में छूट मिलती है, तो इसका सीधा असर देश और राज्य खजाने पर पड़ेगा। अगर बात करें मध्य प्रदेश की तो सिर्फ यहीं करीब 500 करोड़ सालाना की राजस्व हानि होगी। कमलनाथ सरकार का लक्ष्य है कि, वो तय समय में कांग्रेस के वचन पत्र को पूरा करले, लेकिन प्रदेश का खाली खज़ाना इसमें बड़ी बाधा बन सकता है। वित्त विभाग का मानना है कि अगर केन्द्र द्वारा लोकसभा चुनाव से पहले इस फैसले को लागू किया जाता है तो राज्य पर अच्चा खास भार पड़ना तय है। इस फैसले से राज्य सरकार की आमदनी पर सीधा असर इसलिए भी पड़ेगा क्योंकि, प्रदेश में छोटे उद्यमियों की संख्या काफी ज्यादा है, जिनसे सरकार को अच्छा खासा रेवेन्यू मिलता है।

प्रदेश के साथ देश के राजस्व पर भी पड़ेगा बड़ा भार

मध्य प्रदेश को इन छोटे उद्यमियों या व्यापारियों से हर महीने 35 से 40 करोड़ रुपए की राजस्व आमदनी होती है। 20 से 40 लाख रुपए तक के सालाना टर्नओवर वाले मप्र में 2 लाख से ज्यादा व्यापारी हैं। जीएसटी में रजिस्ट्रेशन की छूट मिलने से अब ये टैक्स के दायरे से बाहर हो गए हैं। इस फैसले से राज्य सरकार को लगभग 500 करोड़ रुपए सालाना नुकसान होगा। वही, जीएसटी छूट की सीमा बढ़ाने से आशंका यह भी जताई जा रही है कि इससे टैक्स चोरी की संभावनाएं बढ़ जाएंगी। केंद्र सरकार को ही इस फैसले से करीब सवा पांच हजार करोड़ रुपए का राजस्व घाटा होगा।

कांग्रेस ने बताया चुनावी हथकंडा

इधर, कांग्रेस का मानना है कि, ‘केन्द्र सरकार द्वारा मध्यम या छोटे व्यापारियों को लाभ पहुंचाने का सीधा मकसद सिर्फ लोकसभा चुनाव साधना है। उन्हें डर है कि, कहीं कांग्रेस तय समय में अपने वचन पत्र द्वारा की गई घोषणाओं को पूरा ना कर ले।’ कांग्रेस की ओर से आरोप लगाया गया कि, ‘मोदी सरकार को डर है कि, तीन राज्यों में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद पूरे देश की निगाहें कांग्रेस द्वारा किये कामों पर बनी हुई हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री द्वारा अड़ंगे लगाए जाने लगे हैं।’ हालांकि, कांग्रेस की ओर से इस बात पर खुशी जाहिर की गई कि, ‘देश-प्रदेश के व्यापारियों को केन्द्र सरकार द्वारा राहत मिली है। लेकिन प्रदेश की कांग्रेस सरकार अपने वचन पत्र पर अब भी पूरी तरह फिक्रमंद है और अड़ंगे कितने भी लगा दिये जाएं सरकार जनता से किये हर वादे को जरूर पूरा करेगी।’

पहले से ही इतनी मुश्किल में है प्रदेश सरकार

आपको बता दें कि, मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार लगातार कर्ज के बोझ से दबती जा रही है। सरकार पर अभी तक पौने दो लाख करोड़ से भी ज्यादा का कर्ज है। बावजूद इसके जनता से किये वादे को पूरा करने के लिए अब सरकार फिर एक हजार करोड़ का कर्ज लेने जा रही है। इससे पहले भी प्रदेश सरकार द्वारा 1600 और 1000 करोड़ रुपये कर्ज लिया जा चुका है। यावि कुल मिलाकर बीते डेढ महिने में सूबे की सरकार द्वारा 36 हजार करोड़ कर्ज लिया जा चुका है। ऐसे में केन्द्र के इस फैसले से राज्य सरकार आगे भी कर्ज लेने को मजबूर हो सकती है। जिसके कारण प्रदेश का और कर्जदार होना तय है।

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