यह होगी नई प्रक्रिया मंडी समिति में पंजीकृत किसान सीधे अध्यक्ष का चयन करेंगे। इन किसानों की राजस्व पुस्तिका के आधार पर नामावली बनी हुई रहती है। इसके लिए हर वर्ष वोटर लिस्ट भी मंडी समितियों में बनती है।
यह होगा फायदा किसानों द्वारा सीधे अध्यक्ष का चुनाव किए जाने से चुनाव में राजनीतिक उठापटक, मसल्स पावर, पैसे का दुरुपयोग आदि नहीं हो सकेगा। इसके साथ ही अध्यक्ष पर मनमाने ढंग से काम कराने का दबाव भी नहीं रहेगा।
दो बार ही बढ़ता है कार्यकाल मंडी में अध्यक्ष सहित पूरी कार्यकारिणी के चुनाव को दो बार टाला या आगे बढ़ाया जा सकता है। मध्यप्रदेश में दूसरी बार कार्यकाल आगे बढ़ाया गया है। ऐसा मध्यप्रदेश में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर कार्यकाल बढ़ाने की चर्चा है। लेकिन दूसरे कार्यकाल बढ़ाने की तारीख दिसंबर में पूरी हो रही है। यदि चुनाव बाद प्रदेश में सरकार ने मंडी अध्यक्ष के चुनाव को आगे बढ़ाया तो मंडियों में भारसाधक अधिकारी की नियुक्ति हो जाएगी। मध्यप्रदेश मंडी अधिनियम 1972 के तहत प्रदेश की मंडियों में मंडी समितियां गठित की गई थी। वर्ष 2000 और वर्ष 2005 में चुनाव किसानों के माध्यम से हुए थे। 2013 में पहली बार निर्वाचन प्रक्रिया अपनाई गई। इसमें कृषक सदस्य, व्यापारी एवं हम्माल -तुलावटियों द्वारा अध्यक्ष का चयन किया जाने लगा।
मंडी बोर्ड ने किसानों के माध्यम से अध्यक्ष का चुनाव कराने संबंधी एक प्रस्ताव शासन स्तर पर भेजा है। सरकार को निर्णय करना है। अभी पुराने नियम ही चल रहे हैं। फैज अहमद किदवई, प्रबंध संचालक, मंडी बोर्ड