वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट अजय दुबे ने नेशनल टाइगर प्राधिकरण (एनटीसीए) से शिकायत की थी कि बांघवगढ़ नेशनल पार्क में नियम और कानूनों का उल्लंघन किया जा रहा है। इस संबंध में उन्होंने दो तरह के उदाहरण भी दिए थे जिसमें यह कहा था विदेशी पर्याटकों को कोर एरिया में सफारी कराया गया है और दूसरा, डिजनी वल्र्ड कंपनी ने डाक्यूमेंट्री बनाने वाइल्ड लाइफ नियमों का उल्लंघन किया है।
जहां पर मादा बाघ बच्चों अपने तीन बच्चों के साथ बैठी थी, वहां जाकर उक्त कंपनी कर्मचारियों ने फिल्मांकन किया है, जो वाइल्ड लाइफ नियमों का उल्लंघन है। इसके साथ ही अजय दुबे ने एनटीसीए को फोटोग्राफ और वीडियो भी भेजा है। बताया जाता है कि एनटीसीए ने इस मामले में पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ से इस संबंध में जानकारी मांगी है।
इस मामले में एपीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ आलोक कुमार का कहना है कि वे इस समय बाहर हैं, वह इस संबंध में आफिस आकर बात करेंगे। गौरतलब है कि पिछले कई सालों से नेशनल पार्कों में बाघों की लगातर मौतें हो रही हैं। दर्जनों बाघों शावकों की मौत संक्रमण से हुई है। इसका खुलास जांच रिपोर्ट के दौरान सामने आया है। पार्क प्रबंधक पर्यटकों को बाघों के कोर एरिया में जाने की अनुमति दे देते हैं, जिससे बाघों के संक्रमण होने का खतरा बना रहता है।
इस विषय पर हम जल्द ही मप्र के मुख्यमंत्री और वन मंत्री को अवगत कराकर दोषी विदेशी कंपनी और विदेशी पर्यटकों के साथ डायरेक्टर एवं अन्य कर्मचारियों के विरुद्ध कार्यवाही की मांग करेंगे।
अजय दुबे, वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट
पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ ने प्रबंधक से इस बात का स्पष्टीकरण मांगा है कि विदेशी पर्यटकों को सफारी लेकर कोर एरिया में जाने की अनुमति किस अधिकारी ने दी थी और अगर वे कोर एरिया में जा रहे थे तो उन्हें क्यों नहीं रोका गया।
वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट अजय दुबे ने नेशनल टाइगर प्राधिकरण (एनटीसीए) से शिकायत की थी कि बांघवगढ़ नेशनल पार्क में नियम और कानूनों का उल्लंघन किया जा रहा है। इस संबंध में उन्होंने दो तरह के उदाहरण भी दिए थे जिसमें यह कहा था विदेशी पर्याटकों को कोर एरिया में सफारी कराया गया है और दूसरा, डिजनी वल्र्ड कंपनी ने डाक्यूमेंट्री बनाने वाइल्ड लाइफ नियमों का उल्लंघन किया है। जहां पर मादा बाघ बच्चों अपने तीन बच्चों के साथ बैठी थी, वहां जाकर उक्त कंपनी कर्मचारियों ने फिल्मांकन किया है, जो वाइल्ड लाइफ नियमों का उल्लंघन है।
इसके साथ ही अजय दुबे ने एनटीसीए को फोटोग्राफ और वीडियो भी भेजा है। बताया जाता है कि एनटीसीए ने इस मामले में पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ से इस संबंध में जानकारी मांगी है। इस मामले में एपीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ आलोक कुमार का कहना है कि वे इस समय बाहर हैं, वह इस संबंध में आफिस आकर बात करेंगे।
गौरतलब है कि पिछले कई सालों से नेशनल पार्कों में बाघों की लगातर मौतें हो रही हैं। दर्जनों बाघों शावकों की मौत संक्रमण से हुई है। इसका खुलास जांच रिपोर्ट के दौरान सामने आया है। पार्क प्रबंधक पर्यटकों को बाघों के कोर एरिया में जाने की अनुमति दे देते हैं, जिससे बाघों के संक्रमण होने का खतरा बना रहता है।
इस विषय पर हम जल्द ही मप्र के मुख्यमंत्री और वन मंत्री को अवगत कराकर दोषी विदेशी कंपनी और विदेशी पर्यटकों के साथ डायरेक्टर एवं अन्य कर्मचारियों के विरुद्ध कार्यवाही की मांग करेंगे।
अजय दुबे, वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट