इसके लिए सरकार कड़े प्रावधान लाने की तैयारी में है। इतना ही नहीं गौ-नस्ल सुधार के लिए प्राधिकरण भी बनाया जाएगा। बनाने की तैयारी है। इतना ही नहीं विदेशी ब्रीडिंग को प्रतिबंधित भी किया जाएगा। जल्द ही कैबिनेट में इसका प्रस्ताव पेश किया जाएगा।
राज्य सरकार इसका प्रारूप बना रही है। इसके तहत राज्य स्तरीय प्राधिकरण हर जिले व तहसील तक अपनी विंग बनाकर मानीटरिंग करेगा। इसमें गौ-नस्ल सुधार से जुड़े हर सीमन सेंटर को रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य रहेगा।
इसमें सरकारी सेंटर को भी मासिक रिपोर्ट देना होगी। इसके अलावा हर सेंटर की पूरी कंट्रोलिंग इस प्राधिकरण को होगी। कहां कितनी गाय हैं और कितना नस्ल सुधार हुआ है इसकी मानीटरिंग भी की जाएगी। खास बात ये कि नस्ल सुधार के नाम पर विदेशी सांडों से ब्रीडिंग को प्रतिबंधित किया जाएगा। इसमें सरकारी कर्मचारी के लिए जुर्माने और नौकरी से हटाने तक के सख्त प्रावधान होंगे, जबकि प्रायवेट व्यक्ति पर जुर्माने व कारावास तक के सख्त प्रावधान रखे जा सकते हैं। अभी इसका पूरा प्रारूप तैयार हो रहा है।
2014 में उठे थे कदम-
भारत सरकार ने 2014 में विदेशी सांडों से देश में गायों का नस्ल सुधार कराना गलत ठहराया था। इसके पहले आस्ट्रेलिया सहित अनेक देशों के सांडों को नस्ल सुधार के लिए लाया जाता था। मध्यप्रदेश में भी विदेशी सांडों से नस्ल सुधार कराया गया है। लेकिन, 2014 में भारत सरकार ने इसे गलत माना था।
इसके जरिए नई नस्ल को कमजोर और गलत करार दिया गया। अध्ययन के बाद सामने आया था कि विदेशी सांडों से जो नस्ल सुधार के प्रयास वह नस्ल भारत के प्राकृतिक वातावरण में मूल-गायों की तुलना में कम बेहतर साबित हुई।
गौं-सरंक्षण पर चुनावी फोकस-
दरअसल, लोकसभा चुनाव के चलते कमलनाथ सरकार गायों को लेकर बड़े कदम उठा रही है। अभी तक भाजपा सरकार गायों को लेकर संरक्षण के दावे करती थी, लेकिन कमलनाथ सरकार ने इसे गलत ठहराकर भाजपा से ज्यादा संरक्षण के ठोस कदम उठाना तय किया है। इसी के तहत एक हजार गौशालाएं खोलने का निर्णय लेने के बाद अब गायों के लिए अलग ही अधोसंरचनात्मक ढांचा बनाने की तैयारी हो गई है। इसी के तहत यह कदम उठाए जा रहे हैं।