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व्यापमं महाघोटाले के सूत्रधारों को टिकट से तौबा

locationभोपालPublished: Nov 12, 2018 11:38:48 pm

Submitted by:

anil chaudhary

कांग्रेस ने हाथ मिलाकर आंदोलन तो किया, लेकिन किसी व्हिसिल ब्लोअर को प्रत्याशी नहीं बनाया
 

 madhyapradesh-election

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अरुण तिवारी, भोपाल. कांग्रेस जिन आंदोलनकारियों से हाथ मिलाकर विधानसभा चुनाव में जीत की जमीन तैयार कर रही थी, उन्हें विधानसभा चुनाव का टिकट देने से तौबा कर ली। व्यापमं महाघोटाले पर सरकार के खिलाफ माहौल बनाने वाले आरटीआइ कार्यकर्ता और पूर्व विधायक तक टिकट से वंचित रह गए। महाघोटाला उजागर करने के सूत्रधार पारस सकलेचा, डॉ. आनंद राय और बुदनी में किसान आंदोलन कर जेल जाने वाले युवा अर्जुन आर्य भी टिकट के दावेदार थे। माना जा रहा है कि इनसे कांग्रेस ने टिकट देने का वादा किया था।
– ये आंदोलनकारी थे टिकट के दावेदार
पारस सकलेचा : रतलाम से 2008 में निर्दलीय विधायक चुने गए सकलेचा व्यापमं घोटाले की लड़ाई के बड़े योद्धा माने जाते हैं। कांग्रेस व्यापमं की लड़ाई में शामिल हो गई और सकलेचा को 2015 में पार्टी में शामिल कर लिया। 2018 में रतलाम से टिकट की बात भी हुई, लेकिन टिकट नहीं दिया।
डॉ. आनंद राय : व्यापमं घोटाले को उजागर करने में डॉ. आनंद राय की बड़ी भूमिका रही है। इंदौर- 5 से टिकट के दावेदार थे। पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी से भी मुलाकात हो चुकी है, लेकिन टिकट नहीं मिला।
अर्जुन आर्य : बुदनी में सरकार के खिलाफ बड़ा किसान आंदोलन छेड़ा, जेल भी गए। सेंट्रल जेल में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह मिलने पहुंचे थे। कांग्रेस में शामिल किया। अर्जुन ने सपा की उम्मीदवारी छोड़कर कांग्रेस की सदस्यता ली, लेकिन बुदनी से प्रत्याशी नहीं बन पाए।
केदार सिरोही : मालवा के बड़े किसान नेता हैं। केदार सिरोही मंदसौर के किसान आंदोलन के समय चर्चा में आए। कांग्रेस इस आंदोलन में शामिल हुई और केदार को कांग्रेस का सदस्य बना लिया। टिकट वितरण के दौरान इनका नाम छोड़ दिया गया।
विनायक परिहार : नरसिंहपुर के इस किसान नेता ने सरकार के खिलाफ कई आंदोलन किए। गेहंू खरीदी में घोटाले से लेकर किसानों के भोजन में गड़बड़ी तक का मामला उठाया। कांग्रेस ने टिकट की उम्मीद जताई, लेकिन उनकी उम्मीद पूरी नहीं हुई।
अक्षय हुंका : कांग्रेस के लिए बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा है। अक्षय ने आम आदमी पार्टी से दूर होकर बेरोजगार सेना बनाई। कांग्रेस ने अक्षय को गोविंदपुरा सीट से टिकट का भरोसा दिलाया, लेकिन टिकट नहीं दिया।
डीपी धाकड़ : रतलाम जिला पंचायत के उपाध्यक्ष डीपी धाकड़ का मंदसौर किसान आंदोलन के समय खूब नाम उछला। पुलिस केस भी बना, इससे पहले भोपाल में भी वे पंचाय तराज के अधिकारों को लेकर आंदोलन कर चुके हैं। टिकट के दावेदार थे, लेकिन टिकट नहीं मिला।
मोना कौरव : गाडरवारा इलाके की युवा सरपंच मौना कौरव डेढ़ सौ सरपंचों के साथ कांग्रेस में शामिल हुईं। जीत का भरोसा दिलाया। कांग्रेस ने आश्वासन दिया, लेकिन टिकट नहीं दिया।
– टिकट न देने का दबाव आया काम
इन आंदोलनकारियों ने कांग्रेस पर व्यापमं घोटाले में नाम आने वाले लोगों को टिकट न देने का दबाव भी बनाया। ये दबाव काम भी आया। संजीव सक्सेना भोपाल दक्षिण पश्चिम सीट तो पंकज संघवी इंदौर से उम्मीदवार नहीं बन पाए। गुलाब सिंह किरार को कांग्रेस ने शामिल किया फिर प्रेस नोट जारी कर उनकी सदस्यता से इनकार कर दिया।
– कांग्रेस इन आंदोलनों में रही शामिल
प्रदेश में हुए सरकार विरोधी आंदोलन कांग्रेस ने शुरू तो नहीं किए, लेकिन उनमें शामिल होने में देरी नहीं दिखाई। व्यापमं महाघोटाले को बड़ा मुद्दा बनाकर लपकने की कोशिश की। कांग्रेस के दिल्ली से भोपाल तक के बड़े नेताओं ने इसे हाथों-हाथ लिया। मंदसौर का किसान आंदोलन किसान यूनियन ने शुरू किया, लेकिन कांग्रेस नेता इसमें भी शामिल हो गए। मंदसौर गोलीकांड को बड़ा मुद्दा बना लिया। कर्मचारियों के सरकार के खिलाफ हुए प्रदर्शनों में भी कांग्रेस ने शामिल होने में देरी नहीं दिखाई।
हमें टिकट का वादा कर कांग्रेस में शामिल किया था। टिकट न देकर हमें कांग्रेस ने धोखा दिया। व्यापमं की लड़ाई लडऩे वालों को छोड़कर आखिर कांग्रेस ने क्या संदेश दिया।
– पारस सकलेचा, पूर्व विधायक
कांग्रेस ने टिकट न देकर आंदोलनकारियों का अपमान किया है। हमको क्या मौका इसलिए नहीं मिला क्योंकि हम घोटालेबाजों के खिलाफ हैं।
– डॉ. आनंद राय, आरटीआइ कार्यकर्ता

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