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MP ELECTION 2018: सियासी समर में चुकता करेंगे पुरानी अदावत का हिसाब

locationभोपालPublished: Nov 17, 2018 08:43:27 am

क्षेत्रीय वर्चस्व की लड़ाई को लेकर थे आमने-सामने, अब चुनाव मैदान में प्रतिद्वंद्वी…..

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MP ELECTION 2018: सियासी समर में चुकता करेंगे पुरानी अदावत का हिसाब

भोपाल। विधानसभा चुनाव में कुछ नेता पुरानी अदावत का हिसाब-किताब चुकता करने मैदान में हैं। दस सीटों पर ऐसी रोचक स्थिति बन रही है। इन पर आमने-सामने उतरे प्रत्याशी पांच साल तक एक-दूसरे से उलझते रहे। कुछ के बीच तो व्यक्तिगत रंजिश का भी लंबा इतिहास है। ऐसे में सियासी जीत-हार से ज्यादा महत्वपूर्ण वर्चस्व की जंग है। क्योंकि, ये चुनाव मैदान से बाहर भी शह-मात का खेल लगातार खेलते रहे हैं।


होशंगाबाद: सीतासरन शर्मा ,सरताज सिंह…


विधानसभा अध्यक्ष सीतासरन शर्मा भाजपा और सरताज सिंह कांग्रेस प्रत्याशी हैं। सरताज कुछ दिनों पहले तक भाजपा में थे। वे मंत्री भी रहे हैं। उम्र के फॉर्मूले पर उनसे मंत्री पद छिना था। इस बार भाजपा ने टिकट नहीं दिया तो कांग्रेस का दामन थामा। वे विधानसभा अध्यक्ष के ताल ठोंक रहे हैं।

सांसद रहते हुए सरताज का क्षेत्र में बड़ा कद था। विधानसभा अध्यक्ष बनते ही शर्मा का आभामंडल बढ़ा तो सरताज का प्रभाव कम हुआ। अब ये लड़ाई चुनाव मैदान दिख रही है।

विजयराघौगढ़ : संजय पाठक ,पद्मा शुक्ला
यहां दोनों दलों के प्रत्याशी पिछले चुनाव के मुकाबले दल बदलकर आमने-सामने हैं। संजय पाठक भाजपा और पद्मा शुक्ला कांग्रेस से प्रत्याशी हैं। 2013 में संजय कांग्रेस और पद्मा भाजपा प्रत्याशी थीं। संजय ने कांग्रेस विधायक रहते हुए भाजपा का दामन थामा और उपचुनाव जीते, फिर राज्यमंत्री बने। पद्मा शुरू से संजय के खिलाफ हैं।


संजय के भाजपा में आने से घुर विरोधी एक ही पार्टी में हो गए थे, लेकिन विवाद शांत नहीं हुआ। पद्मा कांग्रेस में शामिल हो गईं।

रीवा : राजेंद्र शुक्ल, अभय मिश्रा
राजेंद्र शुक्ल भाजपा और अभय मिश्रा कांग्रेस से प्रत्याशी हैं। पूर्व मिश्रा पहले भाजपा में थे, लेकिन उनकी शुक्ल से कभी पटरी नहीं बैठी। वे अभी जिला पंचायत अध्यक्ष हैं।

भाजपा ने 2013 के चुनाव में मिश्रा की टिकट काटकर उनकी पत्नी नीलम को उम्मीदवार बनाया था। वे विधायक बनीं, लेकिन राजेंद्र शुक्ल और अभय मिश्रा का विवाद खत्म नहीं हुआ। मिश्रा ने आखिरकार भाजपा को छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया।

गोहद : लालसिंह आर्य, रणवीर जाटव

भाजपा प्रत्याशी लालसिंह आर्य और कांग्रेस प्रत्याशी रणवीर जाटव का विवाद जगजाहिर है। रणवीर के पिता तत्कालीन विधायक माखन जाटव की हत्या के मामले में लालसिंह भी आरोपी बने। लालसिंह आर्य और माखन लाल जाटव में राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता थी।


माखन की हत्या के बाद यह दुश्मनी में बदल गई। अब लालसिंह और रणवीर चुनावी रण में एक-दूसरे को चुनौती दे रहे हैं।

अटेर : अरविंद भदौरिय, हेमंत कटारे
अरविंद भदौरिया भाजपा और हेमंत कटारे कांग्रेस प्रत्याशी हैं। हेमंत के पिता सत्यदेव के निधन के बाद इनका विवाद खुलकर सामने आ गया। उपचुनाव में हेमंत विधायक बने और एक छात्रा के यौन शोषण के मामले में विवाद में आए। इसे लेकर आरोप-प्रत्यारोप चले और पीडि़ता ने पोल खोली कि ये सब करने के लिए अरविंद ने उकसाया था। क्षेत्र के धुर विरोध ये नेता अब चुनाव मैदान में आमने-सामने हैं।

लहार : रसाल सिंह ,गोविंद सिंह
रसाल सिंह भाजपा और गोविंद सिंह कांग्रेस प्रत्याशी हैं। क्षेत्र में दोनों नेताओं में वर्चस्व की लड़ाई है। रसाल पहले रोन सीट से चुनाव लड़ते रहे हैं। 2008 में परसीमन के बाद ये सीट समाप्त हो गई तो रसाल को गोविंद के मुकाबले में उतरना पड़ा। बीते दो चुनाव से गोविंद का पलड़ा भारी है। इस बार फिर दोनों आमने-सामने हैं।

चुरहट : शर्देन्दू तिवारी,अजय सिंह
शर्देन्दू तिवारी भाजपा और अजय सिंह कांग्रेस प्रत्याशी हैं। ये दोनों 2013 में भी आमने-सामने थे। तिवारी के राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई में ये तीसरी पीढ़ी से हैं। दरअसल, शर्देन्दू के बाबा चंद्रप्रताप तिवारी ने चुरहट से अजय सिंह के पिता पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह को हराया था।

चंद्रप्रताप तब सोशलिस्ट पार्टी में थे। बाद में अर्जुन सिंह सीट बदलकर जीते और कांग्रेस में शामिल हो गए। इससे क्षुब्ध चंद्रप्रताप भी कांग्रेस में आ गए, लेकिन सिंह के मुकाबले वे पिछड़ गए। तब से दोनों परिवारों के बीच राजनीतिक अदावत है। हालांकि, दूसरी पीढ़ी से तिवारी परिवार से कोई राजनीति में नहीं आया था।

 

 

नरेला : सारंग-महेंद्र
विश्वास सारंग भाजपा और महेंद्र सिंह चौहान कांग्रेस प्रत्याशी हैं। इनके बीच विधानसभा क्षेत्र में वर्चस्व की लड़ाई है। एक-दूसरे के खिलाफ शिकवे शिकायतें आम बात है। शह-मात का खेल भी चल रहा है। चुनाव आयोग फर्जी मतदाताओं के नामों पर इनके विवाद सामने आए। अब दोनों एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव मैदान में हैं।

 

मनावर: बघेल-अलावा
रंजना बघेल भाजपा और हीरा अलावा कांग्रेस प्रत्याशी हैं। जयस की अगुवाई कर रहे अलावा ने रंजना के खिलाफ भी मोर्चा खोला है। भाजपा ने जयस को अपने खेमे में लाने की कोशिश की तो रंजना ने इसका विरोध किया। कांग्रेस ने अलावा को अपने खेमे में शामिल कर लिया।

दतिया : नरोत्तम मिश्रा बनाम राजेंद्र भारती
नरोत्तम मिश्रा भाजपा और राजेंद्र भारती कांग्रेस प्रत्याशी हैं। भारती और मिश्रा के बीच विवाद पुराना है। भारती ने 2008 के विधानसभा चुनाव में नरोत्तम पर पेड न्यूज के जरिए चुनाव जीतने का आरोप लगाया। यह मामला चुनाव आयोग, हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीमकोर्ट तक गया। इनका विवाद थमा नहीं है।

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