उत्तरा आषाढ़ नक्षत्र तथा मकर राशि में पडऩे वाला यह ग्रहण इस सदी का सबसे लंबी अवधि वाला खग्रास चंद्रग्रहण होगा और इस साल का दूसरा खग्रास चंद्रग्रहण होगा। इसके पहले 31 जनवरी को भी खग्रास चंद्रग्रहण पड़ा था। चंद्रग्रहण शुरू होने के तीन प्रहर अर्थात 9 घंटे पहले ग्रहण का सूतक काल शुरू हो जाता है। इसलिए इस ग्रहण का सूतक भी दोपहर बाद से शुरू हो जाएगा जो ग्रहण समाप्ति के बाद तक रहेगा। इस ग्रहण की अवधि 3 घंटा 55 मिनट रहेगी।
वायव्य कोण से शुरू और आग्नेय कोण पर समाप्त होगा ग्रहण
ज्योतिष मठ संस्थान के पं. विनोद गौतम ने बताया कि यह लंबी अवधि का ग्रहण होगा, जो चंद्रमा के वायव्य कोण से शुरू और आग्नेय कोण पर समाप्त होगा। इस ग्रहण का ग्रासमान 1.61 होगा। यह ग्रहण भारत के साथ-साथ कई देशों में दिखाई देगा। यह इस सदी में सबसे लंबी अवधि का ग्रहण होगा।
ब्लड मून की तरह होगी आभा
आंचलिक विज्ञान केंद्र के प्रकल्प समन्वयक प्रबॉल राय ने बताया कि यह पूर्णग्रास ग्रहण होगा, जो काफी लंबी अवधि का ग्रहण होगा। इसे ब्लड मून कह सकते हैं, क्योकि यह रेडियस की तरह लाल आभा के साथ दिखाई देगा। अगर बादल खुले रहे तो लोग इस खगोलीय घटना को रात्रि में देख सकते हैं। यह एक खगोलीय घटना है, और इसे देखने से कोई भी बुरा प्रभाव नहीं पड़ता।
ग्रहण के दौरान क्या करे, क्या न करे
– सूतक शुरू होने के बाद प्रतिमा का स्पर्श, पूजा पाठ न करे
– घर में पूजा घर में पर्दा डाल दे
– नग्न आंखों से ग्रहण न देखे
– ग्रहण अवधि में खाना और सोना वर्जित माना गया है
– गर्भवती महिलाओं को ग्रहण में बाहर नहीं निकलना चाहिए
– ग्रहण में चंद्र मंत्र, राहु मंत्र, राम नाम का जाप करना चाहिए
– ग्रहण समाप्ति के बाद स्नान करे, यज्ञोपवित और कलावा बदले
– ग्रहण का दान करे