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दांव पर दिग्गजों की साख, आज आएगा फैसला कौन डूबेगा किसकी नैय्या होगी पार

locationभोपालPublished: May 22, 2019 10:21:10 pm

Submitted by:

harish divekar

438 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला सामने आएगा

loksbha

2019

प्रदेश के 29 लोकसभा सीटों की मतगणना गुरुवार 23 मई को सुबह आठ बजे से शुरू होगी। इसी के साथ चुनाव मैदान में उतरे 438 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला सामने आ जाएगा। चुनावी रण में उतरे भाजपा-कांग्रेस के अनेक दिग्गजों का राजनीतिक कैरियर इस बार दांव पर है। इनमें कौन चुनावी वैतरणी पार करेगा और कौन डूबेगा इसका फैसला मतगणना के बाद सामने आएगा। जानिए, दिग्गजों की स्थिति…
दांव पर इनकी साख….
कांग्रेस में –

कमलनाथ : प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ पर इस बार कांग्रेस की नैया पार लगवाने की जिम्मेदारी है। तीन दशक के राजनीतिक कैरियर में पहली बार कमलनाथ लोकसभा की बजाय छिंदवाड़ा विधानसभा के उपचुनाव में प्रत्याशी हैं। उनकी जगह उनके पुत्र नकुलनाथ लोकसभा के रण में उतरे हैं। सभी की नजर पुत्र की राजनीतिक लांचिंग के परिणाम पर है।
दिग्विजय सिंह : सीएम कमलनाथ के कहने पर पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह कठिन सीट भोपाल पर उतरे। यहां तीन दशक से भाजपा का कब्जा है। दिग्विजय के उतरने से पूरे चुनावी समीकरण पलट गए। 16 साल बाद वे चुनाव लड़ रहे हैं। उनका राजनीतिक पुनर्वास परिणाम पर टिका हुआ है।
अजय सिंह : सीधी सीट पर कांग्रेसी दिग्गज अजय सिंह पिछला लोकसभा चुनाव सतना सीट में हारे थे। विधानसभा चुनाव अपनी परपंरागत सीट चुरहट पर हार चुके हैं। अब यह चुनाव उनकी राजनीति की दिशा तय करेगा।
अरुण यादव : खंडवा सीट पर कांग्रेसी दिग्गज अरुण यादव कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की टीम का हिस्सा माने जाने हैं। इसी सीट से लोकसभा चुनाव हारे थे, फिर 2018 विधानसभा में बुदनी से शिवराज सिंह के हाथों पराजित हुए। अब दो चुनाव हारने के बाद राजनीतिक कैरियर दांव पर है।
कांतिलाल भूरिया : रतलाम सीट पर कांग्रेस सांसद भूरिया के लिए भी चुनाव अहम है। विधानसभा चुनाव 2018 में उनके बेटे विक्रांत को हार का सामना करना पड़ा। उनके बेटे को हराने वाले जीएस डमोर ही अब उनके सामने प्रतिद्वंदी है।
रामनिवास रावत : कांग्रेस के विधानसभा में पूर्व मुख्य संचेतक रामनिवास रावत पिछला विधानसभा चुनाव हार चुके हैं। ऐसे में यह चुनाव उनके लिए करो या मरो वाला था। परिणाम अनुकूल नहीं रहे तो राजनीतिक कैरियर पर सवालिया निशान लग जाएगा।
भाजपा में-
नरेंद्र सिंह तोमर : ग्वायिलर सीट बदलकर केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर मुरैना सीट पर उतरे हैं। तोमर को तगड़ी चुनौती मिली है। यह चुनाव उनके राजनीतिक कैरियर में नई ऊंचाई या फिर झटका साबित होगा।
प्रज्ञा ठाकुर : भोपाल सीट पर संघ और भाजपा का हिन्दुत्व कार्ड बनकर उतरी प्रज्ञा के राजनीतिक कैरियर के लिए बड़ा अहम चुनाव है। उनकी हार को विचारधारा की हार के रूप में देखा जाएगा।
नंदकुमार सिंह चौहान : पांच बार के सांसद नंदकुमार सिंह चौहान के लिए भी चुनाव महत्वपूर्ण है। 2009 में वे अरुण यादव से ही चुनाव हारे थे। विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश अध्यक्ष पद से हटे थे। यह चुनाव उन्हें फिर संजीवनी दे सकता है।
राकेश सिंह : भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष होने के कारण राकेश सिंह के लिए चुनाव में जीत बेहद अहम है। उनके सामने कांग्रेस प्रत्याशी विवेक तन्खा चुनाव लड़े हैं। खुद के साथ पार्टी का प्रदर्शन की भी चुनौती है।

15 हजार कर्मचारी करेंगे वोटों की गणना

भोपाल। प्रदेश के 29 लोकसभा सीटों की गुरुवार 23 मई को विधानसभा क्षेत्रवार मतगणना होगी। 51 केंद्रों में मतगणना के लिए 15 हजार कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है। मतगणना सुबह आठ बजे से शुरू होगी। केंद्रीय सुरक्षा बल की 17 कंपनियों के अलावा 9 हजार पुलिसकर्मी सुरक्षा में तैनात होंगे।
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