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भोपाल

इंडियन आयडल के अंकुश की तरह गीतिका भी खो रही आंखों की रोशनी

– भोपाल की गीतिका गीत-संगीत को बनाना चाहती है आंखों की रोशनी- आंखों में आया फिगमेंट, सिकुडऩे लगा है रेटिना नहीं निकला इलाज

भोपालJan 27, 2019 / 03:33 pm

आसिफ सिद्दीकी

Like the Indian Idol ankush Geetika is also losing sight of the eyes

इंडियन आयडल के अंकुश की तरह गीतिका भी खो रही आंखों की रोशनी

आसिफ सिद्दीकी, भोपाल. इंडियन आयडल सीजन-10 में अंकुश भारद्वाज ने भारी शोहरत लूटी थी। सीजन-10 के रनरअप रहे अंकुश के साथ संगीत प्रेमियों की सहानुभूति जुड़ी हुई थी। यह सहानुभूति उन्हें अपनी गायन कला के साथ ही खत्म होती आंखों की रोशनी से मिली। ठीक ऐसी ही बीमारी से पीडि़त भोपाल की उभरती गायिका भी अपने लिए संगीत को आंखों की रोशनी बनाना चाहती है, लेकिन अब तक ऐसा बड़ा मंच नहीं मिला है जिससे यह अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा सके।

छोटे घर से आई बड़ा सपना लेकर
भोपाल नगर निगम में दरोगा के पद पर कार्य करने वाले मुकेश लोहट की होनहार बेटी गीतिका लोहट को बचपन से संगीत का शौक है। बचपन में पिता के मित्र जो भजन गायक थे उनके कार्यक्रमों को देखकर यह शौक पैदा हुआ। जब उसे यह अच्छा लगने लगा तो वह भी उनके साथ भजन गाने लगी। जब यह अहसास हुआ कि केवल भजन गाने से उसे तृप्ति नहीं मिल रही है तो गीतिका ने संगीत की विधिवत शिक्षा लेना शुरू की। सबसे पहले उसने पंडित सिद्धराम स्वामी कोटवाल से संगीत की शिक्षा ली। इसके बाद उन्होंने ग्वालियर घराने के उस्ताद अनवर हुसैन की शार्गिदी कुबूल की। वे अब भी उस्ताद अनवर हुसैन से शिक्षा ले रही हैं। गीतिका ने अपनी संगीत प्रतिभा को निखारने के लिए संगीत में एमए भी किया है।

संगीत में पाए कई मुकाम
गीतिका लगातार खुद को साबित करने के प्रयास में लगी हुई है। 2016 में अपनी प्रतिभा के दम पर सरेगामा के लिए चयनित हुई। रेड एफएम के टशनबाज में भी पहली रनरअप रही। गीतिका आकाशवाणी के लिए भी गजल गायन कर रही है। गीतिका के अनुसार वह संगीत के आसमान को छूना चाहती है। वह आंखों की कमजोरी को इसके बीच नहीं आने देना चाहती। संगीत को ही वह अपनी आंखों की रोशनी बनाकर दुनिया देखने की तमन्ना रखती है।

संगीत में भोपाल को निखारना है
गीतिका के अनुसार भोपाल में संगीत का पहले जैसा माहौल नहीं रह गया है। अब कुछ बंद आडिटोरियम में बाहर के लोग आकर अपनी प्रस्तुतियां देकर चले जाते हैं, लेकिन स्थानीय संगीत को बढ़ावा मिलना बंद सा हो गया है। वह पद्मश्री अब्दुल लतीफ खान साहब के जमाने का भोपाल बनाना चाहती है। ताकि संगीत के क्षेत्र में भी भोपाल की अपनी अल्हदा पहचान बने। वे मानती हैं कि भोपाल के संगीत को अच्छे गुरुओं की जरूरत है।

सुरशंकरा ने दिया मंच
मंच उपलब्ध कराने के नाम जब एक पर एक संस्था ने राशि की मांग की तो गीतिका का दिल टूट गया। संगीत के व्यसायिकरण के इस दौर में उसकी मुलाकात हुई सुरशंकरा म्यूजिकल ग्रुप का संचालक सुरेश गर्ग से। गर्ग और उनकी टीम बिना व्यसायिक लाभ के नई प्रतिभाओं को मंच उपलब्ध करा रहे हैं। 50 सदस्यों के इस गु्रप में गीतिका के अलावा दृष्टिबाधित बेबी सरगम कुशवाह और बेबी फाल्गुनी पुरोहित के अलावा निशा द्विवेदी, मीना श्रीवास्तव, श्रीजा उपाध्याय, अरविंददयाल शर्मा के साथ ही गु्रप के सदस्य सुरेश गर्ग, प्रमोद उपाध्याय, बीएल रायकवार, इरशाद खान, नेतराज सोलंकी, डॉ. संदीप अग्रवाल, उमेश गर्ग, सलील माथुर शौकिया गायन करते हैं।

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