ऐसे में अपनी सत्ता को बचाए रखने के लिए भाजपा ने अब नया दांव चला है। इसके तहत सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी प्रदेश के मंदिरों, मठों के संचालकों, साधु, संन्यासियों और अन्य प्रमुख लोगों के बारे में जानकारी जुटा रही है। जिसे आने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी के तौर पर देखा जा रहा है।
बहरहाल, पार्टी ने यह नहीं बताया है कि इस जानकारी का इस्तेमाल किस तरह से किया जाएगा। कुल मिलाकर जानकार इसे मंदिर-मठ-महंत यानि M3 फॉर्मूला बता रहे हैं।
पार्टी सूत्रों ने बताया कि पार्टी ने प्रदेश में फैले 65,000 मतदान केंद्रों के इलाकों में स्थित सभी मंदिरों, हिन्दू धर्मस्थलों, मठों तथा इनके संचालक साधु, संतों, पुजारियों और इनसे जुड़े श्रद्धालुओं, सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ताओं एवं अन्य महत्वपूर्ण व्यक्तियों के बारे में जानकारी जुटाई है।
इस बारे में प्रदेश भाजपा से जुड़े सूत्रों के अनुसार मंदिरों, मठों और इनसे जुड़े पुजारियों और संतों की जानकारी हासिल की है। इसके साथ ही पार्टी ने बूथ स्तर पर सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ताओं और असरदार लोगों का डाटा भी एकत्र किया है। माना जा रहा है पार्टी अब इनसे संपर्क करेंगी। जिसे प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल भी मान रहे हैं।
दरअसल कुल जनमत सर्वेक्षणों में आगामी विधानसभा चुनाव में प्रदेश में भाजपा की पराजय की संभावना व्यक्त की गई थी।
जिसके सामने आने के बाद भाजपा द्वारा डाटा संग्रह की कवायद की गई। वहीं कुछ सर्वे भले ही भाजपा को मजबूत दिखा रहे हो, लेकिन वे भी यहीं कहते दिख रहे है कि जीत बहुत मामूली होगी।
वहीं एक सर्वे में मध्यप्रदेश विधानसभा चुनावों में प्रदेश की कुल 230 सीटों में से भाजपा को 106 सीटें यानि 40 प्रतिशत के मुकाबले कांग्रेस को 117 सीटें यानि 42 प्रतिशत मिलने का अनुमान व्यक्त किया गया है।
वहीं जानकारों की माने तो अब स्थितियां और ज्यादा नाजुक होती हुई दिख रहीं हैं। इसका कारण एससीएसटी एक्ट में संशोधन को बताया जा रहा है। जानकारों की माने तो ये नियम अब भाजपा के लिए और घातक बनता दिख रहा है।