तत्कालीन कलेक्टर निकुंज श्रीवास्तव, हाउसिंग बोर्ड के तत्कालीन आयुक्त और गेमन इंडिया की सब्सिडरी कंपनी दीपमाला इंफ्रा के शेयर होल्डर रमेश शाह के खिलाफ जांच शुरु की थी। शुरुआत में तो जांच करने से ही इंकार कर दिया था, लेकिन बाद में प्राथमिकी दर्ज की गई।
प्राथमिकी दर्ज होने के बाद से अब तक इसके करीब 5 जांच अधिकारी बदल गए, लेकिन जांच आगे नहीं बड़ पाई। इधर, ईओडब्ल्यू ने आवास एवं पर्यावरण विभाग से 4 महीने पहले इस मामले की जांच रिपोर्ट मांगी है,
लेकिन आज तक विभाग ने यह रिपोर्ट सबमिट नहीं की। गौरतलब है कि अनुबंध के अनुसार यह प्रोजेक्ट मई 2017 में हाउसिंग बोर्ड को हेंडओवर होना था, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ। इधर, गेमन इंडिया में फ्लेट खरीदने वाले सैकड़ों लोगों से 90 फीसदी रकम वसूल ली गई, लेकिन फ्लेट नहीं मिला।
निकुंज के फर्जी साइन
रमेश शाह पर तत्कालीन कलेक्टर निकुंज श्रीवास्तव के फर्जी साइन बनाकर शासन से जमीन आवंटित करवाने की आशंका है। इधर, निकुंज श्रीवास्तव ने भी इस मसले पर कोई आपत्ति नहीं ली है, इसलिए उन पर भी संदेह जताया जा रहा है।
वहीं, हाउसिंग बोर्ड के तत्कालीन आयुक्त की भूमिका भी संदिग्त है। भाजपा सरकार के कार्यकाल में निकुंज श्रीवास्तव का नाम आने के कारण जांच ठंडे बस्ते में डाल दी गई थी। ईओडब्ल्यू ने भी इसे गंभीरता से नहीं लिया और कई जांच अधिकारी बदलते गए। इसके कारण जांच भी आगे नहीं बढ़ पाई।
गेमन इंडिया की जांच प्रकरण में हमने आवास एवं पर्यावरण विभाग से रिपोर्ट मांगी है। अभी तक रिपोर्ट की प्रतीक्षा की जा रही है। रिपोर्ट आने पर अन्य पहलूओं पर जांच होगी।
केएन तिवारी, डीजी ईओडब्ल्यू