इसके अलावा कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बहन प्रियंका गांधी वाड्रा को पार्टी में महासचिव नियुक्त किया है। उन्हें पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभार दिया है। 47 वर्षीय प्रियंका इससे पहले लोकसभा चुनावों में भाई राहुल के लिए अमेठी सीट पर और मां सोनिया गांधी के लिए रायबरेली सीट पर प्रचार करती रहीं हैं। लेकिन पार्टी में उन्हें पहली बार कोई पद दिया गया है। पिछले कई वर्षों से प्रियंका को सक्रिय राजनीति में लाने की कांग्रेस के नेता मांग करते रहे हैं।
दरअसल मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत में अहम भूमिका निभाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी कांग्रेस महासचिव बनाया गया है। उन्हें पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी दी गई है। वहीं, अब तक पार्टी के मुख्य महासचिव रहे अशोक गहलोत की जिम्मेदारी केसी वेणुगोपाल को दी गई है। वेणुगोपाल कर्नाटक के प्रभारी भी होंगे।
जानिये ज्योतिरादित्य से जुड़ी कुछ खास बातें secrets of Scindia …
दरअसल ज्योतिरादित्य सिंधिया पिता माधवराव सिंधिया की मौत के ढाई महीने बाद, साल 2001 में 17 दिसंबर को कांग्रेस पार्टी में औपचारिक रूप से शामिल हुए थे। तब सिंधिया की उम्र तकरीबन 30 साल थी। ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ इस दिन यानि 17 दिसंबर, 2001 को कांग्रेस मुख्यालय 24 अकबर रोड पहुंचे थे।
बताया जाता है कि तब ज्योतिरादित्य सिंधिया तब अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से एमबीए की पढ़ाई पूरी कर लौटे थे। वहीं उनकी पत्नी प्रियदर्शिनी सिंधिया दूसरे बच्चे को जन्म देने वाली थीं और उन्हें घर बुलाया गया था।
उस समय मध्य प्रदेश में कांग्रेस की ही सरकार थी। वहीं कांग्रेस मुख्यालय सिंधिया के स्वागत में सज-धजकर तैयार था और अकबर रोड पर सिंधिया के समर्थन में एमपी के दर्जनों विधायक नारे लगा रहे थे। इस मौके पर मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह और मोतीलाल बोरा भी मौजूद थे।
इस समय कांग्रेस की महासचिव मोहसिना किदवई ने आधिकारिक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में सिंधिया के पार्टी में शामिल होने की औपचारिक घोषणा की थी। उस दिन की सबसे खास बात ये थी कि तत्कालीन कांग्रेस प्रमुख सोनिया भी वहां मौजूद थीं। जानकारों का कहना है कि सिंधिया का जैसा स्वागत उस समय हुआ था,ऐसा लग रहा था कि मानो कांग्रेस को दूसरा माधवराव सिंधिया मिल गया हो। वहीं इस मौके पर ज्योतिरादित्य सिंधिया की मां माधवी राजे भी मौजूद थीं।