बता दें कि मध्यप्रदेश के पूर्व वित्तमंत्री राघवजी पर अपने घरेलू नौकर के साथ यौन शोषण के आरोप लग चुका है। पूर्व वित्तमंत्री राघवजी ने कहा कि अब धारा- 377 को रद्द कर दिया गया है, इससे मेरा मामला बंद हो जाएगा लेकिन, मैं अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों पर अपना स्टैंड साफ करने का अवसर खो दूंगा। साथ ही उन्होंने कहा कि मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि मैंने ऐसा कुछ नहीं किया है और यह घटना कभी नहीं हुई।
उन्होंने बताया कि मेरा अलग मामला है क्योंकि इसमें कोई अप्राकृतिक यौन संबंध नहीं था। षड्यंत्र के तहत, इस मामले को गलत तरीके से बनाया गया, ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। लेकिन, एससी ने धारा 377 को निर्णायक कर दिया है जो इस मामले को डिफ़ॉल्ट रूप से बंद कर देता है। दरअसल, राघवजी ने 2013 में अपने सरकारी आवास में रहने वाले युवक के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध बनया था। इस घटना की सीडी सामने आने के बाद प्रदेश की राजनीति में भूचाल मच गया था। सीडी सामने आने के बाद राघवजी को इस्तीफा देना पड़ा था।
मामले के उजागर होने के बाद राघवजी के साथ शिवराज सरकार की भी खूब किरकिरी हुई थी। यहां तक कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर कार्रवाई में देरी को लेकर उंगलियां उठी थी। बाद में शिवराज ने उनसे इस्तीफा लेकर विवाद से किनारा कर लिया था। राघवजी ने गिरफ्तारी से भी बचने की खूब जुगत लगाई, लेकिन कानून के सामने आखिरकार राघवजी को झुकना पड़ा था और भोपाल के कोहेफिजा से उनकी गिरफ्तारी हुई थी।