यही वजह है कि समस्या का समाधान नहीं होता और जनता परेशान होती रहती है। जिले में सीएम हेल्पलाइन, जनसुनवाई व अन्य नजूल कार्यालयों में में आईं पेंडेंसी की संख्या साढ़े पांच हजार के करीब है। इसमें से सिर्फ जनसुनवाई के आवेदन तीन हजार से ज्यादा हैं। इसमें पुलिस, स्वास्थ्य, पीड्ब्ल्यूडी, शिक्षा, सीपीए, बीडीए, वन विभाग, खनिज विभाग, महिला बाल विकास, तहसीलों में आ रहे भूमि विवाद सहित अन्य विभागों के शिकायती आवेदन भी शामिल हैं।
कलेक्टोरेट में हर मंगलवार को होने वाली जनसुनवाई में आ रहे आवेदनों की संख्या इतनी ज्यादा नहीं है कि अधिकारी उनका समाधान न करा सकें। लेकिन कुछ समय से आवेदनों को इतने हल्के में लिया जा रहा है कि उनमें सुनवाई ही नहीं हो रही।
केस वन-
पोर्टल पर 16 दिन बाद अपडेट, मौके पर काम नहीं
28 जून 2019 को कलेक्टोरेट कार्यालय में टीटी नगर में चल रहे स्मार्ट सिटी के तहत बनाई जा रही सड़क, बाउंड्री वॉल निर्माण में लापरवाही की शिकायत की गई। गड्ढों में बरसात का पानी भरा है, ओवरफ्लो होने के कारण लोगों को परेशानी हो रही है। 15 जुलाई को ये शिकायत पोर्टल पर अपडेट की गई। संबंधित विभाग को अवगता करा दिया है। हकीकत ये है कि बरसात न होने से पानी सूख गया। फिर पानी पड़ेगा तो समस्या खड़ी होगी।
केस टू-
जिले में सर्वे के लिए 16 टीमें, आधी वीआईपी क्षेत्र में रहेंगी
3 जुलाई को मिली इस शिकायत को उसी दिन ई-सुगम पोर्टल पर अपलोड कर दिया, लेकिन 17 जुलाई इसमें कोई अपडेट ही नहीं हुआ। जबकि शिकायतकर्ता की तरफ से बताया गया था कि राजधानी की इतनी बड़ी आबादी के 25 लाख घरों के सर्वे के लिए 16 टीमें हैं। आधी वीआईपी क्षेत्र में ही सर्वे करेंगी। इन समस्या को अपडेट ही नहीं किया गया।
भरण पोषण के केस भी अटके
आम जनता की समस्याओं के अलावा वर्तमान में एसडीएम कार्यालय व तहसील स्तर पर भरण पोषण के केस भी पेंडिंग पड़े हुए हैं। जिनकी सुनवाई ही नहीं हो रही। बुजुर्ग जनसुनवाई में आवेदन करने के बाद संबंधित एसडीएम कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही।
हम लगातार बैठकों में अधिकारियों को निर्देश देते हैं कि शिकायतों की पेंडेंसी न रहे, इस मामले में कार्रवाई कर नोटिस भी दिए गए हैं। – तरुण पिथोड़े, कलेक्टर