कई लोगों के मकान आधे ईदगाह की जमीन पर बने हैं तो कुछ ईदगाह से बाहर की जमीन पर बने हैं। उनकी हद का सही अंदाजा लगाने के लिए गूगल तकनीकी से सर्वे कराया जा रहा है। ऐसे मकानों की संख्या काफी है जो आधे ईदगाह और आधे उससे सटी हुई कॉलोनियों पर बने हैं। इनको मालिकाना हक कैसे देंगे इसको लेकर भी पेंच फंसेगा।
सोमवार को ईदगाह में सर्वे करने पहुंची टीम ने ब्राइट कॉलोनी के 63 घरों में डोर टू डोर सर्वे कर जानकारी जुटाई। दूसरा दिन होने के कारण लोगों को ज्यादा परेशानी नहीं हुई। लोगों के घर पहुंचे आरआई पटवारी ने बताया कि वे जिला प्रशासन ने आए हैं, घर की रजिस्ट्री, नामांतरण या अन्य वैध दस्तावेज उपलब्ध करा दें।
कुछ लोगों ने पहले से फोटो कॉपी करा कर रखी थी। कुछ लोगों ने मकान बनाने के लिए बैंक से लोन ले रखा है। उनके पास सिर्फ फोटोकॉपी है। बड़ी बात ये है कि 2001 के बाद जमीन सरकारी घोषित होने के बाद ये लोग लोन की किश्तें भी जमा नहीं कर रहे हैं। ऐसे केसों में भी मालिकाना हक मिलने के बाद आगे समस्या आएगी।
इनका निपटारा भी प्रशासन के पाले में आएगा। शनिवार और सोमवार को मिलाकर दो दिन में 113 घरों का सर्वे किया गया है। जबकि टारगेट 20 हजार घरों का है। ऐसे में आगे चलकर और टीमें भी बढ़ानी होंगी। क्योंकि सर्वे का समय मात्र एक माह ही है जिसमें से तीन दिन गुजर चुके हैं।