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जीका का कौन सा वायरस एक्टिव, विभाग को पता ही नहीं

locationभोपालPublished: Nov 13, 2018 01:01:15 am

Submitted by:

Sumeet Pandey

अब तक यह पता नहीं चला कि प्रदेश में जीका की कौन सी सीरो टाइप कर रहा अटैक

zika virus

जीका का कौन सा वायरस एक्टिव, विभाग को पता ही नहीं

भोपाल. प्रदेश में जीका के लगातार मामले सामने आ रहे हैं और विभाग इससे निपटने के लिए डोर टू डोर सर्वे कर मच्छरों को मारने में जुटा है। लेकिन विभाग के अधिकारियों को अब तक यह भी नहीं पता कि प्रदेश में जीका का जो सीरोटाइप (प्रजाती) है वह कौन सी है। यही कारण है कि स्वास्थ्य विभाग अब तक मरीजों के लिए गाइडलाइन तक तय नहीं कर सका है। गौरतलब है कि किसी भी वायरस के कई सीरोटाइप (प्रजातियां) होते हैं। जीका में भी अफ्रीकन और एशियन सीरोटाइप होते हैं। सीरोटाइप की जानकारी मिलने पर ही उससे जुड़े दिशा निर्देश और ट्रीटमेंट लाइन तय की जाती है। अमूमन किसी भी वायरस के एक्टिव होने के आठ से 10 दिन के भीतर इसके सीरोटाइप की जांच हो जाती है, लेकिन मप्र में अब तक इसका पता नहीं चल सका है।
अफ्रीकन सीरोटाइप ज्यादा खतरनाक

विशेषज्ञों के मुताबिक अफ्रीकन सीरोटाइप ज्यादा खतरनाक होता है। तीन महीने की गर्भवती महिलाओं पर इस प्रजाती के वायरस का असर ज्यादा घातक होता है। इससे गर्भस्थ शिशु का दिमागी और मानसिक विकास भी प्रभावित हो जाता है। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि हमारे यहां जीका राजस्थान के रास्ते आया था, जो कि एशियन सीरोटाइप है।
यह होगा असर

वायरस की प्रजाती जांचने में जितनी देर होगी उसके असर को कम करने में उतनी ही दिक्कतें आएंगी। दसरसल अफ्रीकन सीरोटाइप होने पर महिलाओं को गर्भपात की सलाह दी जाती है। वहीं तीन सप्ताह तक सोनोग्राफी और अन्य जांच की जाती हैं।
महाराष्ट्र में डेंगू के चलते अटकी मप्र की जांच

जानकारी के मुताबिक महाराष्ट्र में इन दिनों डेंगू के नए स्ट्रेन का कहर है, जो कि पुराने स्ट्रेन से ज्यादा जानलेवा है। ऐसे में पुणे एनआईवी की अधिकतर टीम इन नए स्ट्रेन को जांचने में लगी है। इसके चलते मप्र के जीका वायरस की जांच का काम पिछड़ गया है।

जीका बुखार को रोकने के लिए लार्वा सर्वे किया जा रहा है। हालांकि यह सही है कि अभी इसके सीरोटाइप का पता नहीं है, हालांकि इससे ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता। अभी तक किसी भी गर्भपती महिला को जीका से दिक्कत नहीं हुई है।
डॉ. अजय बरोनिया, संयुक्त संचालक, स्वास्थ्य विभाग
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