अफ्रीकन सीरोटाइप ज्यादा खतरनाक विशेषज्ञों के मुताबिक अफ्रीकन सीरोटाइप ज्यादा खतरनाक होता है। तीन महीने की गर्भवती महिलाओं पर इस प्रजाती के वायरस का असर ज्यादा घातक होता है। इससे गर्भस्थ शिशु का दिमागी और मानसिक विकास भी प्रभावित हो जाता है। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि हमारे यहां जीका राजस्थान के रास्ते आया था, जो कि एशियन सीरोटाइप है।
यह होगा असर वायरस की प्रजाती जांचने में जितनी देर होगी उसके असर को कम करने में उतनी ही दिक्कतें आएंगी। दसरसल अफ्रीकन सीरोटाइप होने पर महिलाओं को गर्भपात की सलाह दी जाती है। वहीं तीन सप्ताह तक सोनोग्राफी और अन्य जांच की जाती हैं।
महाराष्ट्र में डेंगू के चलते अटकी मप्र की जांच जानकारी के मुताबिक महाराष्ट्र में इन दिनों डेंगू के नए स्ट्रेन का कहर है, जो कि पुराने स्ट्रेन से ज्यादा जानलेवा है। ऐसे में पुणे एनआईवी की अधिकतर टीम इन नए स्ट्रेन को जांचने में लगी है। इसके चलते मप्र के जीका वायरस की जांच का काम पिछड़ गया है।
जीका बुखार को रोकने के लिए लार्वा सर्वे किया जा रहा है। हालांकि यह सही है कि अभी इसके सीरोटाइप का पता नहीं है, हालांकि इससे ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता। अभी तक किसी भी गर्भपती महिला को जीका से दिक्कत नहीं हुई है।
डॉ. अजय बरोनिया, संयुक्त संचालक, स्वास्थ्य विभाग