बीस एकड़ अथवा उससे अधिक क्षेत्रफल में फैले तालाबों का अलग से डीपीआर तैयार की जाएगी। उनके गहरीकरण और फुलटैंक पानी भराव तथा पानी रोकने के लिए विस्तार से कार्ययोजना तैयार की जाएगी। तालाबों की मैपिंग कर इसकी जानकारी ग्राम पंचायतों को जनपद पंचायतों में देनी होगी। पंचायतों को यह भी बताना होगा कि इन तालाबों को कितने गांवों को लाभ मिलेगा, इससे कितने एकड़ खोतों की सिंचाई की जा सकेगी, गहरीकरण से इनके जल भराव क्षमता
कितनी बढ़ जाएगी।
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सरकार ने बुंदेलखंड में चंदेल काल में बने एतिहासिक तालाबों को संरक्षित करने के लिए अलग से प्लान बनाया है। इसमें टीगमगढ़, निवाड़ी, छतरपुर, पन्ना, दतिया एवं दमोह जिले को शामिल किया गया है। सरकार इन तालाबों का केचमेंट भी तय करेगी ताकि उसमें अतिक्रमण न हो और जल संरक्षण का कार्य हो सके।