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हर्बल खेती के लिए आदिवासियों जमीन देगी सरकार, उत्पाद खरीदने की होगी गारंटी

locationभोपालPublished: Jul 11, 2019 07:52:12 am

Submitted by:

Rajendra Gaharwar

भोपाल. आदिवासियों ( tribal ) को रोजगार से जोडऩे के लिए सरकार एक एकड़ जमीन ( land ) देने की तैयारी कर रही है। इसमें आदिवासी हर्बल खेती ( herbal cultivation ) करेंगे और मेडिशनर प्लांट उगाएंगे। सरकार पौधों से लेकर उत्पाद तक की खरीदने की बाय बैक गारंटी देगी। आदिवासियों आवंटन के लिए पड़त जमीनों की तलाश शुरू कर दी गई है। लाभार्थियों का चयन पहले आओ-पहले पाओ की तर्ज पर किया जाएगा।
दरअसल, परंपरागत रूप से वन क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी औषधीय पौधों के बारे में बेहतर तरीके से जानते हैं। इनका इस्तेमाल भी दवा के रूप में करते हैं। इसी हुनर को निखारने के लिए सरकार आदिवासी क्षेत्र में हर्बल खेती को बढ़ावा देने जा रही है।
आदिवासी परिवारों को पड़त की एक एकड़ जमीन सरकार देगी और उसे विकसित किए जाने में आने वाले खर्च को भी वहन करेगी। इन आदिवासी किसानों को सीधे लघु वनोपज संघ की समितियों से जोड़ा जाएगा। समितियां हर्बल खेती के आधुनिक तरीकों को समझाएंगे और बीज व अन्य जरूरत की चीज उपलब्ध कराएंगें। आदिवासियों द्वारा तैयार किए गए पौधे और अन्य हर्बल उत्पाद को सरकार खुद खरीदेगी। लघु वनोपज संघ उन्हें बाय बैक गारंटी देगी। ताकि किसानों को बाजार की तलाश में भटकना नहीं पड़े।
 

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इनकी होगी खेती

आदिवासी किसानों को अश्वगंधा, तुलसी, एलोवेरा की खेती पर अनुदान दिया जाएगा। परंपरागत खेती से इतर औषधीय खेती से जोडऩे के लिए यह योजना शुरू की गई है। किसानों की आय में इजाफा करने के लिए उन्हें प्रोत्साहित किया जा रहा है। इनके अलावा अतीश, कुठ, कुटकी, करंजा, कपिकाचु और शंखपुष्पी जैसे पौधों से आदिवासियों की जिंदगी बदल सकती है।

गेहूं के मुकाबले 10 गुना कमाई

किसान जब गेहूं या धान की खेती करते हैं तो महज 30,000 रुपये प्रति एकड़ से कम कमाई होती है। लेकिन, हर्बल खेती से औसतन साल में तीन लाख रुपए कमाए जा सकते हैं। हर्बल पौधों का इस्तेमाल आयुर्वेदिक दवाइयों और पर्सनल केयर उत्पाद बनाने में होता है। एक आंकलन के मुताबिक देश में हर्बल का कारोबार करीब 50,000 करोड़ रुपये का है, जिसमें सालाना 15 फीसदी की दर से वृद्धि हो रही है। जड़ी-बूटी और सुगंधित पौधों के लिए प्रति एकड़ बुआई का रकबा अभी भी इसके मुकाबले काफी कम है।

 

आदिवासियों को मुख्य धारा में लाने के लिए उन्हें आर्थिक रुप से सक्षम बनाया जा रहा है। उसी कड़ी में उन्हें वन भूमि देकर हर्बल खेती करवाने का प्रयास किया जा रहा है। उनके उत्पाद को खरीदने की भी गारंटी देंगे। इस प्रस्ताव को जल्द ही कैबिनेट में रखा जाएगा।
उमंग सिंघार, वन मंत्री

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