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सरकार को वाइल्ड लाइफ से ज्यादा विकास की चिंता

locationभोपालPublished: Aug 20, 2018 09:33:07 am

Submitted by:

anil chaudhary

– राज्य वन्यप्राणी बोर्ड की बैठक में सिर्फ सड़क, पुल-पुलिया और खदानों को जमीन देने के प्रस्ताव

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सूखने के बाद निकली मिट्टी ऐसी लग रही है कि मानो पानी के लिए जोरदार पुकार कर रही हो।

भोपाल. सरकार को वाइल्ड लाइफ से ज्यादा विकास की चिंता है। यही वजह है कि पिछले कुछ सालों से राज्य वन्यप्राणी बोर्ड की बैठकों में सिर्फ सड़क, पुल-पुलिया, खदान सहित निजी कंपनियों को जमीन देने के प्रस्ताव लाए जा रहे हैं। इस बार के एजेंडे में भी वन्यप्राणी मुख्यालय के पीसीसीएफ शहबाज अहमद ने सिर्फ विकास कार्यों के लिए टाइगर रिजर्व की जमीन देने के प्रस्ताव शामिल किए हैं। इनमें

– विरोध हुआ, पर सुधार नहीं आया
बोर्ड के सदस्य इससे पहले इस पर नाराजगी जाहिर कर चुके हैं। 2016 की बैठक में वन्यप्राणी विशेषज्ञ एवं पूर्व केन्द्रीय वन सचिव रंजीत सिंह ने कहा था कि वन्यजीवों पर बोर्ड में ही चर्चा नहीं होगी तो कहां होगी। इस पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि विकास भी जरूरी है। हमें वन्यप्राणी के साथ जनता के हितों की भी चिंता करना है।

2017 की बैठक में पूर्व वाइल्ड लाइफ चीफ वार्डन एवं बोर्ड सदस्य एचएस पाबला ने कहा था कि बैठक केवल विकास कार्यों को मंजूरी देने के लिए होती है। इसमें वन्यप्राणी संरक्षण के न तो मुद्दे रखे जाते न ही उन पर चर्चा होती है। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा था कि आप चिंता न करें। अगली बैठक कान्हा नेशनल पार्क में करेंगे और उसमें केवल वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन को लेकर बात की जाएगी।

– कॉरिडोर का प्रस्ताव अधूरा
वन्यप्राणी मुख्यालय ने करीब 10 साल पहले बाघों के लिए कॉरिडोर बनाने काप्रस्ताव तैयार किया था, लेकिन आज तक इस पर अमल नहीं हो पाया। कॉरिडोर न होने से बाघ नेशनल पार्क से निकलकर गांव और आबादी क्षेत्र में आ रहे हैं। इसके बनने से बाघ एक नेशनल पार्क से दूसरे नेशनल पार्क और अभयारण्य में आसानी से जा सकेंगे।

 

** इस बार की बैठक के मुद्दे
– सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में रिलायंस कंपनी को फाइबर ऑप्टीकल्स केबल डालने के लिए जमीन।
– रातापानी अभयारण्य के भीमबेटका में पर्यटन विकास निगम को इंटरपिटेशन सेंटर और चेतना केन्द्र बनाने के लिए करीब तीन एकड़ जमीन।
– इंदौर के रालामंडल क्षेत्र से सटे जमन्या खुर्द में फर्शी की दो खदान को अनुमति देना।
– रातापानी अभयारण्य में चार क्षेत्रों में सड़क बनाने की अनुमति देना।
– संजय टाइगर रिजर्व में दो अलग-अलग क्षेत्रों में सड़क बनाने की अनुमति देना।
– करैरा अभयारण्य क्षेत्र में सड़क बनाने का प्रस्ताव।
– चंबल अभयारण्य (चंबल नदी) से श्योपुर नगर पालिका को पानी देने के लिए और पाइप लाइन बिछाने और टैंक बनाने का प्रस्ताव।

बोर्ड की बैठक में वन्यप्राणियों के संरक्षण और विकास पर सबसे ज्यादा चर्चा होनी चहिए। वन्यप्राणियों के लिए सबसे ज्यादा जरूरी कॉरिडोर है, उस पर कोई चर्चा ही नहीं की जाती है।
– डॉ. रामप्रसाद, पूर्व पीसीसीएफ (हॉफ)

बोर्ड की बैठक में हमेशा पहले विकास कार्यों के लिए जमीन देने पर चर्चा होती है। बाद में वन्यप्राणियों पर चर्चा की जाती है। ऐसे में चर्चा के लिए समय कम पड़ जाता है। पिछले कुछ सालों से तो एजेंडे में वन्यप्राणी के संरक्षण के मुद्दे ही शामिल नहीं किए जा रहे हैं। हम लोग हर बार इसका बैठक में विरोध भी करते हैं।
– एचएस पाबला, सदस्य, वन्य प्राणी बोर्ड एवं रिटायर्ड पीसीसीएफ

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