इसके लिए सोमवार को विहान सोश्यो कल्चरल वेलबीईंग सोसायटी की ओर से आरुषि संस्थान में 10 दिवसीय थिएट्रिक्स वर्कशॉप की शुरूआत हुई। यंग डायरेक्टर सौरभ अनंत के निर्देशन में होने वाली इस वर्कशॉप में ‘शिक्षा की आदर्श पद्धतियां क्या हों और शिक्षा से कैसे मनुष्यता के हित में व्यक्तित्व निर्माण हो।
इस प्रक्रिया पर विमर्श किया जाएगा। साथ ही शिक्षा के क्षेत्र में नवाचारी ढंग से काम कर रहे शिक्षाविदों से बातचीत के आधार पर इस नए नाटक की स्टोरी को डेवलप किया जाएगा।
दिवास्वप्न में है गिजुभाई के एक साल का अनुभव
दिवास्वप्न यानी जागती आंखों से देखा गया सपना, 80 के दशक में लिखी गई यह किताब गुजरात के एक स्कूल की सच्ची घटना पर आधारित है। इसमें गिजुभाई ने अपने एक साल के एक्सपीरियंस के बारे में लिखा है। उन्होंने एक स्कूल में प्रिंसिपल से परमीशन ली कि एक साल मुझे प्रयोग के तौर पर पढ़ाने दिया जाए। प्रिंसिपल ने उन्हें इस शर्त पर अनुमति दी कि कोर्स कम्प्लीट हो और रिजल्ट अच्छा रहे। इस अवधि में गिजुभाई ने वैकल्पिक शिक्षा के कई प्रयोग शुरू किए इस दौरान उन्हें काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा।