मूर्तिकार राकेश प्रजापति ने बताया कि बीते साल लाल मिट्टी प्रति ट्राली चार हजार रुपए थी। अब पांच से छह हजार रुपए में मिल रही है। रंगों की कीमतें भी बढ़ गई हैं। गणपति की मूर्ति बनाते समय कलाकुसरी का काम करने वाले कारीगरों की मजदूरी के दाम भी बढ़ गए हैं। इससे गणपति की प्रतिमाओं के निर्माण पर खर्च ज्यादा आ रहा है।
महंगाई की मार प्रतिमाओं पर ही नहीं, बल्कि पूजन सामग्री पर भी पड़ी है। बीते साल की तुलना में यह समग्री 30 फीसदी महंगी मिल रही हैं। बीते साल नारियल की कीमत प्रतिनग 14 रुपए थी, जो बढ़कर 17 से 18 रुपए हो गई है। सिंदूर, चंदन, घी की कीमतें भी लगातार बढ़ रही हैं। व्यवसायी मदन नेमा ने बताया कि ग्राहक हमसे पुराने दामों पर माल मांगते हैं। इस बार धंधा मुश्किल हो रहा है।
काला तिल – 120 – 150 कलश – 31 (पीस) – 57(पीस)
मधु – 165 प्रति किलो – 180 प्रति किलो काजू – 480 – 550
बादाम – 810 – 900
प्लास्टिक माला – 25 – 40 चुनरी – 40 (छोटी) – 60 (छोटी)