फिलहाल शहर में बिजली उपभोक्ताओं की संख्या साढ़े चार लाख के करीब पहुंच गई है। पांच साल पहले यानि वर्ष २०१४ में ये पौने चार लाख से भी कम थी। बिजली आपूर्ति से जुड़े जानकारों के अनुसार प्रति पंद्रह हजार उपभोक्ताओं पर बिजली आपूर्ति प्रबंधन के लिए एक जोन कार्यालय होना चाहिए। अभी फिलहाल शहर में साढ़े चार लाख उपभोक्ताओं पर २३ जोन कार्यालय है। एक कार्यालय डेढ़ माह पहले शुरू हुआ है। बावजूद इसके प्रतिजोन करीब २० हजार उपभोक्ता बन रहे हैं। यदि शहरी सीमा में शामिल शहर के किनारे वाले कोलार, मिसरोद जैसे क्षेत्र जोड़ दिए जाएं तो उपभोक्ताओं की संख्या पांच लाख से अधिक होगी। यानि हर जोन पर पांच से सात हजार उपभोक्ताओं का अतिरिक्त भार है। एेसे में समझा जा सकता है बेहतर प्रबंधन कैसे होता होगा?
ग्रामीण को शहरी में करने का प्रस्ताव तैयार, निर्णय नहीं
शहर से लगे कोलार और मिसरोद जैसे क्षेत्रों को सिटी सर्कल में शामिल करने के लिए करीब पांच माह पहले प्रस्ताव तैयार कर कवायद शुरू कर दी थी। कई स्तरों पर बैठक कर इसे शामिल करने का निर्णय भी ले लिया था, लेकिन पांच माह से अंतिम निर्णय नहीं लिया जा रहा। ऊर्जा मंत्री प्रियव्रतसिंह का कहना है कि इस स्थिति की समीक्षा कर ली जाएगी। उपभोक्ताओं के हित में जो होगा वह करेंगे।
कम जोन ये से नुकसान जोन कार्यालयों पर उपभोक्ताओं का अधिक भार होने से शिकायत दूर करने से लेकर नए मीटर समेत बिजली से जुड़ी अन्य मामलों में राहत मिलने में देरी होती है।
जोन बढ़े तो ये लाभ
जोन के साथ अमला बढ़ेगा, जिससे उपभोक्ताओं की शिकायतें तुरंत दूर होगी। कोलार जैसे क्षेत्र में जोन बढऩे से लोगों को दानिशकुज तक नहीं भागना होगा।