ईओडब्ल्यू ने इनसे पूछताछ की तो सभी ने इंकार कर दिया कि उन्होंने अपनी डीएससी ‘की’ किसी को नहीं दी, लेकिन ईओडब्ल्यू ने डीएससी ‘की’ बनाने वाली ई-मुद्रा कंपनी से रिपोर्ट तलब की है। इसमें कहा गया है कि डीएससी ‘की’ का न तो डुप्लीकेशन किया जा सकता है और न ही इसकी क्लोनिंग तैयार की जा सकती है। डीएससी ‘की’ में स्टोर डाटा, जिस व्यक्ति के नाम से जारी किया गया है वो ही इसे इस्तेमाल कर सकता है।
ई-मुद्रा की इस रिपोर्ट के आधार पर जांच एजेंसी ने इन सभी अफसरों के खिलाफ जांच शुरु कर दी। इन्हें आरोपी बनाकर दर्ज प्रकरण में ही चालान पेश किया जाएगा। इन सभी से बयान लिए गए तो उन्होंने डीएससी ‘की’ किसी के साथ शेयर करने से इंकार कर दिया, लेकिन जांच में पाया गया कि इनकी सहमति के बिना डीएससी ‘की’ का इस्तेमाल संभव ही नहीं है।
अफसरों की भूमिका
1. जल निगम
जल निगम में टेंडर ओपनिंग अथॉरिटी प्रवीण कुमार गुरु थे। निगम के टेंडर नंबर 91, 93 और 94 में गुरु की डीएससी ‘की’ का इस्तेमाल कर छेड़छाड़ की गई। टेंडर नंबर 91 जीवीपीआर इंजीनियर्स लि हैदराबाद, टेंडर नंबर 93 ह्यूम पाइप कंपनी मुंबई, टेंडर नंबर 94 जेएमसी प्रोजेक्ट इंडिया लि मुंबई को दिए गए। बाद में टेंडर निरस्त कर दिए। गुरु की यह डीएससी ‘की’ आरोपी कंपनी ऑस्मो आईटी कंपनी ने ही बनाई थी।
2. जल संसाधन विभाग
विभाग के टेंडर क्रमांक 10030 और 10044 में छेड़छाड़ की गई। दोनों टेंडरों में विभाग के टेंडर ओपनिंग अथॉरिटी आशीष महाजन, सहायक यंत्री जल संसाधन विभाग के डीएससी ‘की’ का इस्तेमाल किया गया। यह डीएससी ‘की’ सुशील कुमार साहू ने बनाई थी।
3. लोक निर्माण विभाग के टेंडर क्रमांक 49982 व 49985 में अनाधिकृत एक्सेस करने में अखिलेश उपाध्याय मुख्य अभियंता लोक निर्माण विभाग के डीएससी ‘की’ का इस्तेमाल किया गया। वहीं, पीआईयू के टेंडर क्रमांक 49813 में टेंडर ओपनिंग अथॉरिटी विजय सिंह वर्मा के डीएससी ‘की’ का इस्तेमाल किया गया। यह डीएससी ‘की’ किरण शर्मा ने बनाई थी।
4. सडक़ विकास निगम के टेंडर क्रमांक ***** में टेंपरिंग, टेंडर ओपनिंग अथॉरिटी पीयूष चतुर्वेदी, महाप्रबंधक की डीएससी ‘की’ का इस्तेमाल किया गया। इसे ऑस्मो आईटी के सुमित गोलवलकर ने बनाई थी।
ई-मुद्रा कंपनी की रिपोर्ट के अनुसार डीएससी ‘की’ ब्रेक नहीं की जा सकती। जांच में यह रिपोर्ट अहम दस्तावेज है। यदि डीएससी ‘की’ का डुप्लीकेशन नहीं किया जा सकता है तो टेंडर ओपनिंग अथॉरिटी की मिलीभगत के बिना टेंपरिंग संभव नहीं है। इन्होंने ही अपने-अपने डीएससी ‘की’टेंपरिंग के लिए शेयर की है। इनके बयान दर्ज कर लिए गए। इन्हें आरोपी बनाकर अगला चालान पेश किया जाएगा।
केएन तिवारी, डीजी, ईओडब्ल्यू