रिपोर्ट का परीक्षण करने के बाद ईओडब्ल्यू एफआइआर दर्ज करेगी। इसका खुलासा पत्रिका ने किया था। इसके बाद ईओडब्ल्यू को जांच सौंपी गई। इस बीच, ई-टेंडर पोर्टल बनाने वाली बंगलुरु की एंटारेस कंपनी ने 5 मई 2018 को मुख्य सचिव को रिपोर्ट देकर कहा कि पूरा घोटाला ओस्मो कंपनी ने किया है। उन्होंने ईओडब्ल्यू को साइट हैकिंग का मामला दर्ज करने को कहा।
जांच में पता चला कि पोर्टल हैक नहीं हुआ था। नियोजित तरीके से भाजपा सरकार के मंत्री-अफसरों के गठजोड़ से टेंडरों के रेट बदले गए हैं। कांग्रेस के सत्ता में आते ही ईओडब्ल्यू ने इसकी जांच सर्ट एजेंसी को सौंपी। जल निगम के तीन टेंडर 26 दिसंबर 2018 को जारी हुए थे। जांच में लाल क्रॉस दिखाई दिया। यह टेंडर में छेड़छाड़ करने पर दिखाई देता है। शुरुआती जांच में तीन हजार करोड़ के 9 टेंडरों में छेड़छाड़ का मामला सामने आया।
कंपनी संचालक के आइपी एड्रेस मिले
ईओडब्ल्यू के अनुसार एंटारेस की रिपोर्ट के आधार पर जांच की गई। इसमें एयरटेल नेटवर्क का उपयोग किया गया है। आइपी एड्रेस ओस्मो आइटी सोल्यूशन कंपनी के कम्प्यूटर और उसके संचालकों के फोन से मैच हुए हैं।
पोर्टल टेस्टिंग के लिए दिया था पासवर्ड
एंटारेस नेकहा है कि पोर्टल की परफॉर्मेंस टेस्टिंग का काम ओस्मो आइटी सोल्यूशन को दिया था। इसके लिए ओस्मो को लॉगिन आइडी-पासवर्ड दिया था, लेकिन बीच में ही हटा दिया। वे आइडी और पासवर्ड बंद करना भूल गए।
सर्ट ने पुष्टि कर दी है कि ई-टेंडर में छेड़छाड़ कर इसके रेट बदले गए हैं। रिपोर्ट के अंदर विवरण क्या है, यह गोपनीय है और इसे नहीं बता सकता।
केएन तिवारी, डीजी ईओडब्ल्यू
हमारी कोई भूमिका नहीं है। एंटारेस ने पोर्टल की प्रोग्रेस टेस्टिंग का काम दिया था, लेकिन बीच में वापस ले लिया। रिपोर्ट में नाम कैसे दिया, समझ से परे है।
विनय चौधरी, संचालक ओस्मो, आइटी सोल्यूशन कंपनी