यह है नुकसान
● इसमें मौजूद फ्लेवर, आर्टिफिसियल कलर आदि बच्चों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। ● इसमें आर्टिफिसियल स्वीटनर होता है जो ब्लड शुगर लेवल बढ़ा सकता है। जिससे बच्चा डायबिटिक हो सकता है। ● इसमें मौजूद हानिकारक तत्व रोग प्रतिरोधक क्षमता कम करती है। जिससे बच्चे अन्य बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं।
फूड सप्लीमेंट, रोजाना 4 लाख का कारोबार
शहरों में शुद्घ घरेलू खानपान की जगह होटल्स-रेस्त्रां सहित हाथठेलों पर खाने का चलन तेजी से बढ़ा है। इसी के साथ ही बच्चों को स्वास्थ्यवर्धक कहे जाने वाले फूड सप्लीमेंट की चाहत भी बढ़ी है। एक अनुमान के मुताबिक फूड सप्लीमेंट का अकेले भोपाल और आसपास के क्षेत्रों को मिलाकर रोजाना 3 से 4 लाख रुपए का कारोबार होता है। एक्सपर्ट का कहना है कि इन्हें तैयार करने वाली कंपनियां देसी औषधियों का मिश्रण करने का दावा करती है। वहीं फ्लेवर्ड पाउडर से बच्चों के दांतों में कीड़ा लगना और कैविटी जैसे मामले बढ़ रहे हैं। दंत रोग विशेषज्ञ के अनुसार सोने से पहले फ्लेवर्ड या मीठा दूध पीना भी घातक साबित हो सकता है।
फ्लेवर्ड पाउडर में टेस्ट के लिए चीनी की मात्रा ज्यादा होती है। इसलिए बच्चों को फ्लेवर्ड मिल्क देने से बचें। सरकार का यह फैसला अच्छा है। इससे लोग गलत विज्ञापन के छलावे में नहीं आएंगे।- डॉ. पियूष पंचरत्न, शिशु रोग विशेषज्ञ, जेपी अस्पताल