scriptनाटक को नए ढंग से परिभाषित करने के लिए होता है नाट्य गीतों का प्रयोग | Drama used to dramatically define dramatic songs | Patrika News

नाटक को नए ढंग से परिभाषित करने के लिए होता है नाट्य गीतों का प्रयोग

locationभोपालPublished: Apr 27, 2019 08:23:25 am

Submitted by:

hitesh sharma

– नाट्य गीतों की परंपरा: ‘रचना और प्रयोग’ विषय पर रंगवार्ता
 

dramatic songs

नाटक को नए ढंग से परिभाषित करने के लिए होता है नाट्य गीतों का प्रयोग

भोपाल। सिर्फ गाना बजाना ही नाट्य संगीत नहीं है। नाटक को नए ढंग से परिभाषित करने के लिए नाट्य गीतों का प्रयोग होता है। इसके लिए अपरंपरागत चीजों से भी रंग संगीत का निर्माण किया जा सकता है।

चरित्र की मनोस्थिति को प्रकट करने के लिए नाट्य गीतों का प्रयोग होता है। मप्र नाट्य विद्यालय के निदेशक आलोक चटर्जी ने यह बात गुरुवार को स्वराज भवन में आयोजित ‘रंग वार्ता’ में कही।

टैगोर विश्व कला एवं संस्कृति केन्द्र, रवीन्द्रनाथ टैगोर विवि द्वारा प्रायोजित इफ़्तेख़ार स्मृति नाट्य समारोह के तहत नाट्य गीतों की परंपरा: रचना और प्रयोग विषय पर कवि-कथाकार संतोष चौबे की अध्यक्षता में आयोजित ‘रंग वार्ता’

में प्रमुख वक्ता के रूप में नया थियेटर की निर्देशक नगीन तनवीर, वरिष्ठ कला समीक्षक विनय उपाध्याय और युवा रंगकर्मी हेमंत देवलेकर ने साहित्य रचनात्मक भागीदारी की। रंगवार्ता का संचालन युवा रंग निर्देशक व लेखक सुदीप सोहनी ने किया।

हबीब तनवीर के लिखे गीत गुनगुनाए

इस दौरान नया थियेटर की निदेशक नगीन तनवीर ने कहा कि हबीब तनवीर जी की संपूर्ण नाट्य यात्रा में नाट्य गीतों को छत्तीसगढ़ी लोक परंपरा के माध्यम से सबके सामने रखते हुए उनके कई यादगार गीतों को प्रस्तुत किया।

जब उन्होंने हबीब तनवीर के लिखे गीत ‘थोड़ी काठी उठाके देख, आकाश का रंग है नीला… रंगरसिया मन ले के जावे ससुराल… चोर चरणदास कहलाया सच बोल के…’ को प्रस्तुत किया तो दर्शकों ने तालियों से इन गीतों का अभिवादन किया।

नाटक को गति प्रदान करने के साथ उसे आंदोलित भी करता है गीत

वरिष्ठ कला समीक्षक विनय उपाध्याय ने कहा कि नाटक मनुष्य की पक्षधरता की बात करता है, इसमें गीत संगीत भी गहरे तक रचा बसा होता है।

नाटक की कहानी और गतिशीलता को बनाए रखने के लिए गीत संगीत एक महत्वपूर्ण पहलू होता है। लोक संगीत की परंपरा हमें हमेशा नई दिशा में सोचने का अवसर प्रदान करती है।

वहीं युवा रंगकर्मी हेंमत देवलेकर ने कहा कि गीत नाटक का प्राण होते हैं। गीत नाटक को गति प्रदान करने के साथ साथ आंदोलित करने का काम भी करते है। नाटक में गीत संगीत की कहां आवश्यकता है इसे तलाशना विवेकशील निर्देशक का महत्वपूर्ण कौशल होता है।

नाटक के डेकोरेशन के लिए नहीं किया जाए नाट्य संगीत का उपयोग

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे रविन्द्रनाथ टैगोर विवि के कुलाधिपति व वरिष्ठ रचनाकार संतोष चौबे ने कहा कि नाट्य संगीत एक सामूहिक प्रक्रिया है। यह नाटक को गति प्रदान करता है और नाटक के लिए समझ को विकसित करता है।

नाट्य संगीत की अपनी लय होती है। नाट्य संगीत का उपयोग नाटक के डेकोरेशन के लिए नहीं किया जाना चाहिए। नाट्य संगीत हमारे परंपरागत लोक में निवास करता है।

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