13 मेडिकल कॉलेज के करीब 3300 चिकित्सा शिक्षक जीएमसी में एकत्रित होंगे, जहां से वह रैली निकालकर मुख्यमंत्री निवास पहुंचेंगे। यहां मुख्यमंत्री को मांग संबंधी ज्ञापन सौंपा जाएगा। चिकित्सक एसोसिएशन का कहना है कि सरकार द्वारा दिया गया सातवां वेतनमान, चिकित्सा शिक्षकों के साथ सिर्फ छलावा मात्र है।
एसोसिएशन की मांग के अनुसार वेतनमान एवं अन्य अधिकारियों एवं कर्मचारियों की तरह मूलभूत सुविधाओं मांगो को जब तक नहीं माना जाता तब तक मध्यप्रदेश मेडीकल टीचर्स एसोसिएशन द्वारा यह आंदोलन यथावत रूप से जारी रहेगा।
सामूहिक इस्तीफे के चेतावनी
यदि मांग पूरी नहीं होती है, तो सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों के शिक्षक 30 सितंबर को सामूहिक रूप से इस्तीफा सौपेंगे। इसका सीधा असर मेडिकल कॉलेज में उपचार कराने वाले मरीजों पर पड़ेगा। एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. संजीव गौर और सचिव डॉ. राकेश मालवीय ने बताया कि सरकार ने चुनाव से पहले वादा किया था कि सातवां वेतनमान देंगे, लेकिन अब तक इस बारे में चर्चा नहीं की गई है, जबकि सरकार बने काफी समय गुजर चुका है। 13 मांगों में से अभी तक एक मांग पर विचार हुआ है, वह भी अधूरा। चिकित्सकों की मांग पिछले सात साल पुरानी है, जो अभी तक पूरी नहीं की गई है।
इससे पहले बुधवार को भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, रीवा, सागर जबलपुर और 7 नए मेडिकल कॉलेजों रतलाम, विदिशा, दतिया, खंडवा, छिंदवाड़ा, शिवपुरी और शहडोल के टीचर्स ने 7वें वेतनमान की मांग को लेकर दो घंटे काम बंद रखा। डाक्टरों ने अपनी मांगों को लेकर सामूहिक इस्तीफे की चेतावनी भी दी थी।