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बारिश के साथ पैर पसारेगा डेंगू और चिकनगुनिया! ऐसे करें अपना बचाव

locationभोपालPublished: Jul 20, 2019 03:04:55 pm

बारिश के बीच मच्छरों ( Dengue – chikungunya ) की जानलेवा दस्तक शुरू…

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बारिश के साथ पैर पसारेगा डेंगू! अभी से कर लें ये इंतजाम- नहीं तो फिर पछताना पड़ेगा

भोपाल। सावन का महीना शुरू हो चुका है, अब तक मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल सहित प्रदेश के कई जिलों में काफी कम वर्षा ( barish ) हुई है। ऐसे में मानसून ( Monsoon ) की चाल एक बार फिर इन क्षेत्रों की ओर रुख कर सकती है।

जानकारों का मानना है कि वहीं बारिश अपने साथ तमाम तरह की बीमारियों को लाएगी। दरअसल बारिश के बीच मच्छरों की जानलेवा दस्तक शुरू हो जाती है। इस दौरान मलेरिया , दिमागी बुखार के मरीज बढ़ते हैं, वहीं डेंगू बुखार ( dangue ) और चिकनगुनिया ( Chikanguniya ) का भी खतरा मंडराने लगाता है। खासकर, बच्चों में मलेरिया तेजी से संक्रमित होता है। ऐसे में चिकित्सकों का कहना है कि बचाव ही मच्छरजनित बीमारियों से निपटने का एकमात्र कारगर उपाय है।

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ये हैं लक्षण : dengue Symptoms …
डॉक्टर एसके शर्मा के अनुसार कि बारिश के साथ मच्छरजनित और जलजनित बीमारियां उफनने लगती हैं। जलभराव से शहर में कई जगह मच्छर का लार्वा मिलाता है, वहीं प्रदूषण से डायरिया और पेट दर्द के मरीजों की तादाद बढ़ जाती है। नियमित वक्त पर बुखार आना मलेरिया का लक्षण है।
डेंगू वायरस दूर नहीं : dengue virus
जानकारों की मानें तो डेंगू वायरस इस वर्ष नए स्ट्रेन के साथ दस्तक दे सकता है। वायरल बुखार की वजह से मरीजों ने प्लेटलेट जांच करानी शुरू कर दी जाएगी। इसका सबसे अच्छा उपाय डॉक्टर भी बचाव को ही मानते हैं। वहीं इसके अलावा इन दिनों चिकनगुनिया भी फेलने का डर बना रहता है।
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कैसे और कब होता है डेंगू …
डेंगू मादा एडीज इजिप्टी मच्छर के काटने से होता है। इन मच्छरों के शरीर पर चीते जैसी धारियां होती हैं। ये मच्छर दिन में, खासकर सुबह काटते हैं। डेंगू बरसात के मौसम और उसके फौरन बाद के महीनों यानी जुलाई से अक्टूबर में सबसे ज्यादा फैलता है क्योंकि इस मौसम में मच्छरों के पनपने के लिए अनुकूल परिस्थितियां होती हैं। एडीज इजिप्टी मच्छर बहुत ऊंचाई तक नहीं उड़ पाता।
कितने तरह का होता है डेंगू …
यह तीन तरह का होता है
1. क्लासिकल (साधारण) डेंगू बुखार
2. डेंगू हैमरेजिक बुखार (DHF)
3. डेंगू शॉक सिंड्रोम (DSS)

इन तीनों में से दूसरे और तीसरे तरह का डेंगू सबसे ज्यादा खतरनाक होता है। साधारण डेंगू बुखार अपने आप ठीक हो जाता है और इससे जान जाने का खतरा नहीं होता लेकिन अगर किसी को DHF या DSS है और उसका फौरन इलाज शुरू नहीं किया जाता तो जान जा सकती है। इसलिए यह पहचानना सबसे जरूरी है कि बुखार साधारण डेंगू है, DHF है या DSS है।
डेंगू से बचाव के तरीके ( Dengue prevention methods ): डेंगू से बचने के दो ही उपाय हैं। एडीज मच्छरों को पैदा होने से रोकना। एडीज मच्छरों के काटने से बचाव करना।

– बीमारी से बचने के लिए फिजिकली फिट, मेंटली स्ट्रॉन्ग और इमोशनली बैलेंस रहें।
– अच्छा खाएं, अच्छा पीएं और अच्छी नींद ले।
– नाक के अंदर की तरफ सरसों का तेल लगाकर रखें। इससे तेल की चिकनाहट बाहर से बैक्टीरिया को नाक के अंदर जाने से रोकती है।
– खाने में हल्दी का इस्तेमाल ज्यादा करें। सुबह आधा चम्मच हल्दी पानी के साथ या रात को आधा चम्मच हल्दी एक गिलास दूध या के साथ लें। लेकिन अगर आपको -नजला, जुकाम या कफ आदि है तो दूध न लें। तब आप हल्दी को पानी के साथ ले सकते हैं।
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– आठ-दस तुलसी के पत्तों का रस शहद के साथ मिलाकर लें या तुलसी के 10 पत्तों को पौने गिलास पानी में उबालें, जब वह आधा रह जाए तब उस पानी को पीएं।
– विटामिन-सी से भरपूर चीजों का ज्यादा सेवन करें जैसे : एक दिन में दो आंवले, संतरे या मौसमी ले सकते हैं। यह हमारे इम्यून सिस्टम को सही रखता है।

ऐसे रोकें मच्छर…
मच्छरों को पैदा होने से रोकने के उपाय – घर या ऑफिस के आसपास पानी जमा न होने दें, गड्ढों को मिट्टी से भर दें, रुकी हुई नालियों को साफ करें।
– अगर पानी जमा होेने से रोकना मुमकिन नहीं है तो उसमें पेट्रोल या केरोसिन ऑयल डालें।
– रूम कूलरों, फूलदानों का सारा पानी हफ्ते में एक बार और पक्षियों को दाना-पानी देने के बर्तन को रोज पूरी तरह से खाली करें, उन्हें सुखाएं और फिर भरें। घर में टूटे-फूटे डिब्बे, टायर, बर्तन, बोतलें आदि न रखें। अगर रखें तो उलटा करके रखें।
– डेंगू के मच्छर साफ पानी में पनपते हैं, इसलिए पानी की टंकी को अच्छी तरह बंद करके रखें।
– अगर मुमकिन हो तो खिड़कियों और दरवाजों पर महीन जाली लगवाकर मच्छरों को घर में आने से रोकें।
– मच्छरों को भगाने और मारने के लिए मच्छरनाशक क्रीम, स्प्रे, मैट्स, कॉइल्स आदि इस्तेमाल करें। गुग्गुल के धुएं से मच्छर भगाना अच्छा देसी उपाय है।

– घर के अंदर सभी जगहों में हफ्ते में एक बार मच्छरनाशक दवा का छिड़काव जरूर करें। यह दवाई फोटो-फ्रेम्स, पर्दों, कैलेंडरों आदि के पीछे और घर के स्टोर-रूम और सभी कोनों में जरूर छिड़कें। दवाई छिड़कते वक्त अपने मुंह और नाक पर कोई कपड़ा जरूर बांधें। साथ ही, खाने-पीने की सभी चीजों को ढककर रखें।
मच्छरों के काटने से ऐसे करें बचाव…
-ऐसे कपड़े पहने, जिससे शरीर का ज्यादा-से-ज्यादा हिस्सा ढका रहे। खासकर बच्चों के लिए यह सावधानी बहुत जरूरी है। बच्चों को मलेरिया सीजन में निक्कर व टी-शर्ट न पहनाएं।
-बच्चों को मच्छर भगाने की क्रीम लगाएं।
-रात को सोते समय मच्छरदानी लगाएं।
ये बरतें एहतियात : Precaution …
-ठंडा पानी न पीएं, मैदा और बासी खाना न खाएं।
-खाने में हल्दी, अजवाइन, अदरक, हींग का ज्यादा-से-ज्यादा इस्तेमाल करें।
-इस मौसम में पत्ते वाली सब्जियां, अरबी, फूलगोभी न खाएं।
-हल्का खाना खाएं, जो आसानी से पच सके।
-पूरी नींद लें, खूब पानी पीएं और पानी को उबालकर पीएं।
-मिर्च मसाले और तला हुआ खाना न खाएं, भूख से कम खाएं, पेट भर न खाएं।
-खूब पानी पीएं। छाछ, नारियल पानी, नीबू पानी आदि खूब पिएं।
ये है इलाज : treatment of dengue
जानकारों के अनुसार अगर मरीज को साधारण डेंगू बुखार है तो उसका इलाज व देखभाल घर पर की जा सकती है।
– डॉक्टर की सलाह लेकर पैरासिटामोल (क्रोसिन आदि) ले सकते हैं।
– एस्प्रिन (डिस्प्रिन आदि) बिल्कुल न लें। इनसे प्लेटलेट्स कम हो सकते हैं।
– अगर बुखार 102 डिग्री फॉरेनहाइट से ज्यादा है तो मरीज के शरीर पर पानी की पट्टियां रखें।
– सामान्य रूप से खाना देना जारी रखें। बुखार की हालत में शरीर को और ज्यादा खाने की जरूरत होती है।
– मरीज को आराम करने दें।
मरीज में DSS या DHF का एक भी लक्षण दिखाई दें, तो उसे जल्दी-से-जल्दी डॉक्टर के पास ले जाएं। DSS और DHF बुखार में प्लेटलेट्स कम हो जाती हैं, जिससे शरीर के जरूरी हिस्से प्रभावित हो सकते हैं। डेंगू बुखार के हर मरीज को प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत नहीं होती, सिर्फ डेंगू हैमरेजिक और डेंगू शॉक सिंड्रोम बुखार में ही जरूरत पड़ने पर प्लेटलेट्स चढ़ाई जाती हैं। अगर सही समय पर इलाज शुरू कर दिया जाए तो DSS और DHF का पूरा इलाज मुमकिन है।
20 का फॉर्म्युला…
डेंगू में कुछ एक्सपर्ट 20 के फॉर्म्युला की बात करते हैं। अगर धड़कन यानी पल्स रेट 20 बढ़ जाए, ऊपर का ब्लड प्रेशर 20 कम हो जाए, ऊपर और नीचे के ब्लड प्रेशर का फर्क 20 से कम हो जाए, प्लैटलेट्स 20 हजार से कम रह जाएं, शरीर के एक इंच एरिया में 20 से ज्यादा दाने पड़ जाएं – इस तरह का कोई भी लक्षण नजर आए तो मरीज को अस्पताल में जरूर भर्ती करना चाहिए।
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चिकनगुनिया से बचाव : Prevention of Chikungunya

चिकनगुनिया chikungunya कई शहरों में महामारी का रूप ले चुका है, जिसके चलते अब तक कई जगहों पर इसके चलते मौतें भी हो चुकी हैं। चिकनगुनिया के फैलने के दौरान अस्पतालों में मरीजों की संख्या हर रोज बढ़ जाती है और अस्पतालों में लोग खड़े-खड़े ग्लूकोज की बोतल चढ़वाने को मजबूर हो जाते हैं।
वहीं जानकारों के मुताबिक चिकनगुनिया ने लोगों के दिलों में डर बिठा दिया और इसकी एक बहुत बड़ी वजह ये है कि लोगों को इस बीमारी के बारे में पूरी जानकारी ही नहीं है। लोगों को ये पता ही नहीं है कि चिकनगुनिया का बेहतर इलाज घर पर भी हो सकता है। डॉक्टर की सलाह लेकर घर पर रहते हुए भी इस बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है।

चिकनगुनिया के लक्षण: symptoms of chikungunya

1. तेज बुखार : चिकनगुनिया के शुरुआती लक्षणों में से एक है तेज बुखार होना। चिकनगुनिया में बुखार 102 डिग्री सेल्सियस से लेकर 104 डिग्री सेल्स‍ियस तक पहुंच जाता है। बुखार हफ्तेभर या दस दिनों तक भी बना रह सकता है।
2. जोड़ों में तेज दर्द : जोड़ों में तेज दर्द होना, इस बीमारी का एक प्रमुख लक्षण है। जोड़ों में तेज दर्द होता है जिसकी वजह से हाथ-पैर का मूवमेंट करने में भी तकलीफ होती है। ये दर्द काफी दिनों तक बना रहता है। कुछ लोगों को जोड़ों में दर्द के साथ ही सूजन की शि‍कायत भी हो जाती है।
3. रैशेज या चकत्ते पड़ जाना : जरूरी नहीं है कि हर किसी के शरीर पर चकत्ते या रैशेज पड़ें ही लेकिन कुछ लोगों में ऐसे लक्षण भी नजर आते हैं। ये चकत्ते चेहरे पर, हथेली पर और जांघों पर नजर आते हैं।
4. अन्य लक्षण : तेज सिर दर्द, मांसपेशियों में खिंचाव और दर्द, चक्कर आना और उल्टी महसूस होना भी इस बीमारी के सामान्य लक्षण हैं। अगर ये लक्षण नजर आ रहे हैं तो सबसे पहले किसी अच्छे लैब से ब्लड टेस्ट कराएं और सही जगह रिपोर्ट चेक कराएं।
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चिकनगुनिया से बचाव और उपचार के तरीके: Ways to prevent and treat chikungunya

चिकनगुनिया वायरस जनित बीमारी है और ये इंफेक्टेड Aedes मच्छरों के काटने से फैलता है। ऐसे में सबसे जरूरी है कि मच्छरों के काटने से बचकर रहें। अपने आस-पास सफाई रखें। पूरे कपड़े पहनें और सतर्क रहें।
घर पर रहते हुए भी हो जाएंगे ठीक…

सामान्यत: लोगों को लगता है कि चिकनगुनिया हो जाने पर अस्पताल जाना ही एकमात्र उपाय है, लेकिन ऐसा नहीं है। इस दौरान डॉक्टर के संपर्क में रहना जरूरी है, लेकिन घर पर रहते हुए भी इस बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है। जरूरत है तो सिर्फ थोड़ी सावधानी और जानकारी की…
ये करना चाहिए…

चिकनगुनिया के भय को लेकर डॉक्टर बीके मिश्रा का कहना है कि इससे डरें नहीं बल्कि सावधानी बरतें, अपना खुद इलाज करने न बैठें। कुछ खास बातों का अवश्य ध्यान रखें।

: चिकनगुनिया की कोई स्पेसिफिक मेडिसीन उपलब्ध नहीं है। ऐसे में डॉक्टर की दी हुई दवा ही लें। खुद से इलाज करने से बचें और कोई भी दवा न खाएं। इस वायरस के लिए कोई वैक्सीन भी उपलब्ध नहीं है।
: घर पर जितना ज्यादा हो सके आराम करें, क्योंकि इस दौरान आराम करना सबसे ज्यादा जरूरी है।

: चिकनगुनिया में अक्सर लोगों को डी-हाइड्रेशन की शिकायत हो जाती है। ऐसे में ज्यादा से ज्यादा लिक्विड लें, लिक्विड डाइट लेना भी फायदेमंद रहेगा।

: अगर आप किसी दूसरी बीमारी के लिए भी दवा ले रहे हैं तो अपने डॉक्टर को उसके बारे में जरूर बताएं। एक साथ दो तरह की दवाइयां लेना खतरनाक भी हो सकता है।

5. उन चीजों को ज्यादा से ज्यादा लें जिनसे विटामिन सी मिले। विटामिन सी इम्यून सिस्टम को बूस्ट करने का काम करता है।

6. बहुत अधिक ऑयली और स्पाइसी खाने से परहेज करें।

7. नारियल पानी और सब्ज‍ियों का सूप जरूर लें। इस दौरान शरीर बहुत कमजोर हो जाता है, ऐसे में ये लिक्विड डाइट एनर्जी देने का काम करती है।

8. आइस पैक को तौलिए में लपेटकर जोड़ों पर रखें और हल्के हाथों से दबाएं। इससे दर्द में फायदा होगा।

यूं तो सही देखरेख के साथ घर पर रहते हुए भी इस बीमारी से ठीक हुआ जा सकता है लेकिन बीमारी के दौरान डॉक्टर के संपर्क में जरूर रहें। अगर लगे की स्थिति संभलने के बजाय बिगड़ती ही जा रही है तो देर बिल्कुल न करें।

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