जानकारों का मानना है कि वहीं बारिश अपने साथ तमाम तरह की बीमारियों को लाएगी। दरअसल बारिश के बीच मच्छरों की जानलेवा दस्तक शुरू हो जाती है। इस दौरान मलेरिया , दिमागी बुखार के मरीज बढ़ते हैं, वहीं डेंगू बुखार ( dangue ) और चिकनगुनिया ( Chikanguniya ) का भी खतरा मंडराने लगाता है। खासकर, बच्चों में मलेरिया तेजी से संक्रमित होता है। ऐसे में चिकित्सकों का कहना है कि बचाव ही मच्छरजनित बीमारियों से निपटने का एकमात्र कारगर उपाय है।
डॉक्टर एसके शर्मा के अनुसार कि बारिश के साथ मच्छरजनित और जलजनित बीमारियां उफनने लगती हैं। जलभराव से शहर में कई जगह मच्छर का लार्वा मिलाता है, वहीं प्रदूषण से डायरिया और पेट दर्द के मरीजों की तादाद बढ़ जाती है। नियमित वक्त पर बुखार आना मलेरिया का लक्षण है।
जानकारों की मानें तो डेंगू वायरस इस वर्ष नए स्ट्रेन के साथ दस्तक दे सकता है। वायरल बुखार की वजह से मरीजों ने प्लेटलेट जांच करानी शुरू कर दी जाएगी। इसका सबसे अच्छा उपाय डॉक्टर भी बचाव को ही मानते हैं। वहीं इसके अलावा इन दिनों चिकनगुनिया भी फेलने का डर बना रहता है।
डेंगू मादा एडीज इजिप्टी मच्छर के काटने से होता है। इन मच्छरों के शरीर पर चीते जैसी धारियां होती हैं। ये मच्छर दिन में, खासकर सुबह काटते हैं। डेंगू बरसात के मौसम और उसके फौरन बाद के महीनों यानी जुलाई से अक्टूबर में सबसे ज्यादा फैलता है क्योंकि इस मौसम में मच्छरों के पनपने के लिए अनुकूल परिस्थितियां होती हैं। एडीज इजिप्टी मच्छर बहुत ऊंचाई तक नहीं उड़ पाता।
यह तीन तरह का होता है
1. क्लासिकल (साधारण) डेंगू बुखार
2. डेंगू हैमरेजिक बुखार (DHF)
3. डेंगू शॉक सिंड्रोम (DSS) इन तीनों में से दूसरे और तीसरे तरह का डेंगू सबसे ज्यादा खतरनाक होता है। साधारण डेंगू बुखार अपने आप ठीक हो जाता है और इससे जान जाने का खतरा नहीं होता लेकिन अगर किसी को DHF या DSS है और उसका फौरन इलाज शुरू नहीं किया जाता तो जान जा सकती है। इसलिए यह पहचानना सबसे जरूरी है कि बुखार साधारण डेंगू है, DHF है या DSS है।
– अच्छा खाएं, अच्छा पीएं और अच्छी नींद ले।
– नाक के अंदर की तरफ सरसों का तेल लगाकर रखें। इससे तेल की चिकनाहट बाहर से बैक्टीरिया को नाक के अंदर जाने से रोकती है।
– खाने में हल्दी का इस्तेमाल ज्यादा करें। सुबह आधा चम्मच हल्दी पानी के साथ या रात को आधा चम्मच हल्दी एक गिलास दूध या के साथ लें। लेकिन अगर आपको -नजला, जुकाम या कफ आदि है तो दूध न लें। तब आप हल्दी को पानी के साथ ले सकते हैं।
– आठ-दस तुलसी के पत्तों का रस शहद के साथ मिलाकर लें या तुलसी के 10 पत्तों को पौने गिलास पानी में उबालें, जब वह आधा रह जाए तब उस पानी को पीएं।
– विटामिन-सी से भरपूर चीजों का ज्यादा सेवन करें जैसे : एक दिन में दो आंवले, संतरे या मौसमी ले सकते हैं। यह हमारे इम्यून सिस्टम को सही रखता है।
ऐसे रोकें मच्छर…
मच्छरों को पैदा होने से रोकने के उपाय – घर या ऑफिस के आसपास पानी जमा न होने दें, गड्ढों को मिट्टी से भर दें, रुकी हुई नालियों को साफ करें।
– अगर पानी जमा होेने से रोकना मुमकिन नहीं है तो उसमें पेट्रोल या केरोसिन ऑयल डालें।
– रूम कूलरों, फूलदानों का सारा पानी हफ्ते में एक बार और पक्षियों को दाना-पानी देने के बर्तन को रोज पूरी तरह से खाली करें, उन्हें सुखाएं और फिर भरें। घर में टूटे-फूटे डिब्बे, टायर, बर्तन, बोतलें आदि न रखें। अगर रखें तो उलटा करके रखें।
– डेंगू के मच्छर साफ पानी में पनपते हैं, इसलिए पानी की टंकी को अच्छी तरह बंद करके रखें।
– अगर मुमकिन हो तो खिड़कियों और दरवाजों पर महीन जाली लगवाकर मच्छरों को घर में आने से रोकें।
– मच्छरों को भगाने और मारने के लिए मच्छरनाशक क्रीम, स्प्रे, मैट्स, कॉइल्स आदि इस्तेमाल करें। गुग्गुल के धुएं से मच्छर भगाना अच्छा देसी उपाय है।
-ऐसे कपड़े पहने, जिससे शरीर का ज्यादा-से-ज्यादा हिस्सा ढका रहे। खासकर बच्चों के लिए यह सावधानी बहुत जरूरी है। बच्चों को मलेरिया सीजन में निक्कर व टी-शर्ट न पहनाएं।
-बच्चों को मच्छर भगाने की क्रीम लगाएं।
-रात को सोते समय मच्छरदानी लगाएं।
-ठंडा पानी न पीएं, मैदा और बासी खाना न खाएं।
-खाने में हल्दी, अजवाइन, अदरक, हींग का ज्यादा-से-ज्यादा इस्तेमाल करें।
-इस मौसम में पत्ते वाली सब्जियां, अरबी, फूलगोभी न खाएं।
-हल्का खाना खाएं, जो आसानी से पच सके।
-पूरी नींद लें, खूब पानी पीएं और पानी को उबालकर पीएं।
-मिर्च मसाले और तला हुआ खाना न खाएं, भूख से कम खाएं, पेट भर न खाएं।
-खूब पानी पीएं। छाछ, नारियल पानी, नीबू पानी आदि खूब पिएं।
जानकारों के अनुसार अगर मरीज को साधारण डेंगू बुखार है तो उसका इलाज व देखभाल घर पर की जा सकती है।
– डॉक्टर की सलाह लेकर पैरासिटामोल (क्रोसिन आदि) ले सकते हैं।
– एस्प्रिन (डिस्प्रिन आदि) बिल्कुल न लें। इनसे प्लेटलेट्स कम हो सकते हैं।
– अगर बुखार 102 डिग्री फॉरेनहाइट से ज्यादा है तो मरीज के शरीर पर पानी की पट्टियां रखें।
– सामान्य रूप से खाना देना जारी रखें। बुखार की हालत में शरीर को और ज्यादा खाने की जरूरत होती है।
– मरीज को आराम करने दें।
डेंगू में कुछ एक्सपर्ट 20 के फॉर्म्युला की बात करते हैं। अगर धड़कन यानी पल्स रेट 20 बढ़ जाए, ऊपर का ब्लड प्रेशर 20 कम हो जाए, ऊपर और नीचे के ब्लड प्रेशर का फर्क 20 से कम हो जाए, प्लैटलेट्स 20 हजार से कम रह जाएं, शरीर के एक इंच एरिया में 20 से ज्यादा दाने पड़ जाएं – इस तरह का कोई भी लक्षण नजर आए तो मरीज को अस्पताल में जरूर भर्ती करना चाहिए।
चिकनगुनिया के लक्षण: symptoms of chikungunya 1. तेज बुखार : चिकनगुनिया के शुरुआती लक्षणों में से एक है तेज बुखार होना। चिकनगुनिया में बुखार 102 डिग्री सेल्सियस से लेकर 104 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। बुखार हफ्तेभर या दस दिनों तक भी बना रह सकता है।
: चिकनगुनिया की कोई स्पेसिफिक मेडिसीन उपलब्ध नहीं है। ऐसे में डॉक्टर की दी हुई दवा ही लें। खुद से इलाज करने से बचें और कोई भी दवा न खाएं। इस वायरस के लिए कोई वैक्सीन भी उपलब्ध नहीं है।
: अगर आप किसी दूसरी बीमारी के लिए भी दवा ले रहे हैं तो अपने डॉक्टर को उसके बारे में जरूर बताएं। एक साथ दो तरह की दवाइयां लेना खतरनाक भी हो सकता है।
5. उन चीजों को ज्यादा से ज्यादा लें जिनसे विटामिन सी मिले। विटामिन सी इम्यून सिस्टम को बूस्ट करने का काम करता है।
6. बहुत अधिक ऑयली और स्पाइसी खाने से परहेज करें।
7. नारियल पानी और सब्जियों का सूप जरूर लें। इस दौरान शरीर बहुत कमजोर हो जाता है, ऐसे में ये लिक्विड डाइट एनर्जी देने का काम करती है।
8. आइस पैक को तौलिए में लपेटकर जोड़ों पर रखें और हल्के हाथों से दबाएं। इससे दर्द में फायदा होगा।
यूं तो सही देखरेख के साथ घर पर रहते हुए भी इस बीमारी से ठीक हुआ जा सकता है लेकिन बीमारी के दौरान डॉक्टर के संपर्क में जरूर रहें। अगर लगे की स्थिति संभलने के बजाय बिगड़ती ही जा रही है तो देर बिल्कुल न करें।