दरअसल मध्यप्रदेश सरकार, केंद्र सरकार की किसान सम्मान निधि के लिए पिछले छह माह से किसानों की सूची तैयार कर रही है, लेकिन अभी तक उसे ये मालूम नहीं हो पाया है कि प्रदेश में कितने किसान परिवार हैं।
वहीं माना जा रहा है कि इस सूची को तैयार होने में अभी कम से कम चार माह का वक्त और लगेगा। यानि किसानों को सम्मान निधि के लिए अभी और इंतजार करना होगा।
केंद्र सरकार ने दिसंबर 2018 में किसान सम्मान निधि योजना शुरु की थी जिसमें किसानों के खाते में छह हजार रुपए सालाना दिए जाएंगे।
ऐसे में देश के तीन करोड़ से ज्यादा किसानों को पहली किश्त मिल चुकी है और करीब पौने तीन करोड़ किसान दो किश्त पा चुके हैं। लेकिन प्रदेश के अधिकांश किसानों को अब तक ये लाभ नहीं मिल पाया है।
बताया जाता है कि केंद्र सरकार ने मध्यप्रदेश से भी किसानों की सूची मांगी है ताकि उनको भी ये राशि दी जा सके लेकिन प्रदेश सरकार किसानों के नाम,पता और बैंक अकाउंट नंबर अभी तक नहीं जुटा पाई है। वहीं भाजपा ने इसे किसानों के साथ राजनीतिक अपराध बताया है।
सरकारों की आपसी लड़ाई!
वहीं जानकारों का मानना है इसके पीछे सरकारों की छुपी हुई आपसी लड़ाई दिखती है। जिसके चलते प्रदेश के किसानों में मोदी की योजना के प्रभाव को रोकने के लिए जानबुझकर किसानों का डेटा केंद्र को नहीं भेजा जाना भी हो सकता है।
इस संबंध में राजनीति के जानकार डीके शर्मा का कहना है कि किसानों की सारी जानकारी प्राप्त करना सरकार के लिए इतना कठीन नहीं है, जितना वो समय लगा रही है। क्योंकि यह तो आसानी से भू-राजस्व विभाग से प्राप्त की जा सकती है। लेकिन सरकार ने अब तक ऐसा क्यों नहीं किया ये बातें ही सरकार की मंशा पर प्रश्नचिह्न लगाती हैं।
वहीं कुछ जानकारों का मानना है कि केवल अपने स्वार्थ के लिए किसानों का हक मारना कहीं से भी जायज नहीं ठहराया जा सकता। उनका कहना है दरअसल सरकारें आपके फायदे के लिए कम अपनी साख और छवि के लिए जिससे उन्हें लाभ हो, ज्यादा कार्य करतीं हैं।
ये है किसान सम्मान निधि योजना :
मोदी सरकार ने दिसंबर 2018 में किसान सम्मान निधि योजना शुरु की। इस योजना के तहत किसानों को साल में दो-दो हजार की तीन किश्तों में छह हजार रुपए दिए जाएंगे।
पहले ये राशि पांच एकड़ से कम जमीन वाले लघु और सीमांत किसानों को दी जानी थी लेकिन दूसरी बार मोदी सरकार बनते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस योजना का दायरा बढ़ाकर सभी किसानों को देने का फैसला किया है।
पहले इस योजना के तहत प्रदेश के करीब 50 लाख किसानों को तीन हजार करोड़ रुपए मिलने थे लेकिन अब 88 लाख से ज्यादा किसानों को पांच हजार करोड़ से ज्यादा की राशि मिलेगी। यदि किसानों की जानकारी समय पर भेज दी जाती तो उनके खाते में दो किश्त पहुंच जाती।
नहीं चलने देंगे विधानसभा :
वहीं भाजपा ने इसे बड़ा मुद्दा बना लिया है। नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा कि ये सरकार प्रदेश के किसानों के साथ राजनीतिक अपराध और पाप कर रही है।
इस मुद्दे पर विधानसभा नहीं चलने दी जाएगी। राजस्व विभाग के पास किसानों की सारी जानकारी है। सरकार सिर्फ इसलिए सूची नहीं देना चाहती, क्योंकि इससे उनकी आधी-अधूरी कर्जमाफी का पूरा असर खत्म हो जाएगा। छोटे किसानों को इससे बड़ा फायदा होगा। ये सरकार किसानों के पेट पर लात मार रही है।
सरकार किसानों की जानकारी जुटा रही है, इसमें अभी समय लगेगा। केंद्र सरकार ने अब दायरा बढ़ा दिया है, इसलिए नए सिरे से जानकारी जुटानी पड़ रही है। हमारी कोशिश केंद्र सरकार को जल्द से जल्द जानकारी भेजने की है।
– सचिन यादव, कृषि मंत्री,मप्र