कांग्रेस महासचिव दीपक बावरिया ने कहा, ‘लोकसभा चुनाव तक पार्टी की प्रदेश ईकाई में बहुत ज्यादा बदलाव की गुंजाइश नहीं है, फिर भी पार्टी हाईकमान को कोई फैसला लेना होगा तो वह कोई कदम उठा सकते है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में संगठन का पुनर्गठन लोकसभा चुनाव के बाद किया जाएगा। वहीं, उन्होंने इसके साथ ही संदेश दिया है कि मध्यप्रदेश में निगम और मंडलों में पदाधिकारियों की नियुक्तियां भी लोकसभा चुनाव के बाद ही होंगी। बावरिया ने कहा मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन पर कोई विचार नहीं हो रहा है।
मध्यप्रदेश में मंत्रिमंडल में कई वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं को जगह नहीं मिलने से पार्टीके कई विधायक औऱ कार्यकर्ता नाराज हैं। दीपक बावरिया ने कहा, कई वरिष्ठ नेता मंत्री बनने से रह गए हैं, बड़ा जटिल विषय है, राज्य में 35 मंत्री ही बन सकते हैं। लिहाजा प्रदेश और अखिल भारतीय कांग्रेस कोई न कोई रास्ता निकाल ही लेगा। वहीं, उन्होंने गठबंधन को लेकर भी किसी तरह का संभावनाओं से इंकार नहीं किया है।
विधानसभा चुनाव हराने वालों को मिल सकता है लोकसभा का टिकट
दीपक बावरिया ने ये भी कहा कि पार्टी के जो वरिष्ठ लीडर विधानसभा चुनाव हारे गए हैं। पार्टी उन्हें लोकसभा चुनाव में टिकट देने पर विचार कर सकती है। हालांकि उन्होंने ये भी कहा है कि हारे हुए नेताओं को टिकट देना है या नहीं यह स्टेट कमेटी और चुनाव समीति का अधिकार है। बता दें कि मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में इस बार कई वरिष्ठ नेताओं को हार का सामना करना पड़ा है। चुरहट विधानसभा सीट से लगातार चुनाव जीत रहे अजय सिंह को इस बार हार का सामना करना पड़ा है। विंध्य क्षेत्र में अजय सिंह को कांग्रेस के सीएम उम्मीदवार के रूप में देखा जा रहा था हालांकि इस बार वो अपना चुनाव हार गए।
शिवराज के खिलाफ चुनाव लड़े थे अरुण यादव
पूर्व केन्द्रीय मंत्री और मध्यप्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव को पार्टी ने शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ बुदनी विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया था। अरुण यादव को यहां हार का सामना करना पड़ा था।