जिसके चलते शहर में 10 से 13 साल की उम्र तक के बच्चे फ्ल्यूड सहित अन्य मादक पदार्थों का सेवन करते देखे जा सकते हंै। कम उम्र के बच्चों के इस तरह के पदार्थो के सेवन की जानकारी प्रशासन को भी है। प्रशासन बच्चों को जरूरत और गरीबी के चलते भीख मांगना मान कर इसकी अनदेखी कर रहा है।
औद्योगिक शहर में बच्चे नशे के लिए भीख मांग रहे है। जब कोई व्यक्ति उन्हें पैसों की जगह खाने और जरूरत की चीजें देतें हंै तो ये पैसे की ही मांग करते है। शहर के मंगल बाजार, इंदिरा नगर, बस स्टेंड, एचईजी झुग्गी झोपड़ी सहित शहर के अन्य हिस्सों में छोटी उम्र के बच्चे भीख मांगते हुए आसानी से देखे जा सकते है।
नशे में चूर रहने वाले ये मासूम नशे के लिए फ्ल्यूड और बाम का भी उपयोग करते हैं। जिस बाम को लोग दर्द निवारक के रूप में उपयोग करने हैं वह नशा करने वालों के लिए नशे की चीज है। सिलोचन सूंघने वाले एक किशोर ने बताया कि ये आसानी से बाजार में मिल जाती है और इससे लोगों को ज्यादा शक भी नहीं होता है। इसके अलावा आयोडेक्स, पेट्रोल व कफ सिरप आदी दवाईयों से नशा कर रहे हैं।
शहर में बच्चों में बढ़ रही नशाखोरी रोकने के लिए सामाजिक संगठनों द्वारा नशे के तौर पर भी उपयोग किए जाने वाले पदार्थों की बिक्री पर सख्ती करने व अवैध कारोबारों की शिकायत पुलिस से कर चुके हैं। इसके बावजूद शहर में किनारा दुकानों, स्टेशनरी, पान की दुकानों सहित अन्य प्रकार से नशाखोरी के कारोबार में जुड़े लोग बच्चों को मंहगे दामों पर बिना पूछताछ के फ्ल्यूड, सिलोचन बैच रहे है।
– शहर में 7 से 15 साल के बच्चें इन दिनों नशीली चीजों को कहीं भी कपड़े में छुपाकर सूंघते हुए नजर आ जाते हैं, प्रशासन को इनका बचपन बचाने के लिए कुछ कड़े कदम उठाना चाहिए।
प्रदीप नायर,
सदस्य अभय ज्ञान जन समिति
– बच्चों को नशीला पदार्थ बेचना जुर्म है। यदि कोई ऐसा कर रहा है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
जगत सिंंह राजपूत, पुलिस अधीक्षक रायसेन