जल्द ही छग में दस्तावेज जप्ती को लेकर सर्च शुरु होगी। आरोप है कि छत्तीसगढ़ में तत्कालीन भाजपा सरकार ने 2004 में विकलांगों के पुनर्वास के लिए एक संस्था का गठन किया था। विकलांगों के पुनर्वास और संचालन के लिए राज्य संस्थान केंद्र और फिजिकल रेफरल रिहैबिलिटेशन सेंटर बनाया गया था। इसमें 1 हजार करोड़ रुपए के घोटाले को लेकर सीबीआई की जांच के निर्देश 30 जनवरी 2020 में दिए थे जिसके बाद कायमी की गई।
कोर्ट के आदेश के आधार पर सीबीआई की जांच के दायरे में छग के पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड और सुनील कुंजूर भी है। आईएएस अफसर एमके रावत, आलोक कुमार शुक्ला, बीएल अग्रवाल सहित एक दर्जन आईएएस अधिकारियों की भूमिकाओं की भी सीबीआई जांच करेगी। गौरतलब है कि संस्था के कर्मचारी कुंदन सिंह ठाकुर की याचिका पर केस दर्ज करने के लिए कहा गया है। कोर्ट के आदेश में भारत सरकार के सामाजिक कल्याण मंत्रालय और छग सरकार के 31 अधिकारियों के खिलाफ जांच के आदेश दिए गए हैं। सीबीआई ने कोर्ट के आदेश के बाद धारा 420, 120 बी, 467, 468, 471, 409 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत प्रकरण किया दर्ज।
सीबीआई ने जांच से किया था इंकार
व्यापमं घोटाले के 212 प्रकरणों की जांच के लिए सीबीआई की अलग से यूनिट बनाई गई है। राज्य सरकार व स्पेशल टॉस्क फोर्स ने जब सीबीआई को व्यापमं 212 प्रकरणों के अलावा व्यापमं से जुड़ी 197 शिकायतों की जांच के लिए कहा था, तब इस यूनिट ने साफ इंकार कर दिया था। हवाला दिया गया था कि अमले की कमी है और काम अधिक है। वहीं, इस यूनिट की स्थापना के बाद पहली बार दूसरे केस की जांच सौंपी गई है। वह भी मप्र से बाहरी राज्य का केस।