तत्कालीन निगमायुक्त छवि भारद्वाज ने तालाब का कैचमेंट और एफटीएल समझाने के लिए जियोग्राफिक मैपिंग रिपोर्ट तैयार कर एनजीटी में पेश की। पर्यावरणविद सुभाष सी पांडे की याचिका पर हुई इस कवायद पर आगे की कार्रवाई से पहले एनजीटी जज दलीप ङ्क्षसह का तबादला हो गया।
रिपोर्ट फाइलों में दबा दी गई, क्योंकि इसके आधार पर निर्माणों को तोड़ा जाता या फिर इनकी कंपाउंडिंग कराई जाती। इससे पहले 2 जुलाई 2013 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में याचिका के जरिए पांडे ने वॉटर बॉडी कंजर्वेशन की मांग की थी। अब तक निगम एवं प्रदूषण नियत्रंण बोर्ड की तरफ से अतिक्रमणों पर स्थिति स्पष्ट नहीं
की गई है।
प्रदूषित करने वालों को नोटिस तक नहीं : राजधानी के प्रमुख जल स्रोतों में होने के बावजूद शाहपुरा तालाब के विकास और संरक्षण के लिए नगर निगम ने इंतजाम नहीं किए हैं। तालाब में मिलने वाले अनट्रीटेड सीवेज पर कभी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से होटल संचालकों और डेवलपर्स को नोटिस जारी नहीं किए गए। एनजीटी में याचिका के जवाब में दोनों एजेंसियों के जिम्मेदारों ने यही उपाय बताया कि निगम यहां एसटीपी और वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बनवा रहा है।
तालाब में कॉलोनियां सड़कों पर भरा पानी : शाहपुरा तालाब के कैचमेंट में निर्माण का असर बारिश में नजर आता है। चूनाभट्टी की ओर से तालाब के अंदर तक कॉलोनियां बन गई हैं। ऐसे में बारिश का पानी प्रशासन अकादमी की तरफ मौजूद ढलान की ओर बढ़ता है। यहां मुख्य मार्ग पर चार फीट तक भर जाता है। इस साल भी बारिश में इस रोड पर पानी भर गया था। रास्ता बंद हो जाने के कारण लोगों को भारी परेशानी हुई।
सुभाष सी पांडे, याचिकाकर्ता मास्टर प्लान में शाहपुरा तालाब के संरक्षण की गाइड लाइन पहले से है। 2005 के मसौदे में संशोधन के लिए प्रस्ताव नहीं है।
एसके मुद्गल, संयुक्त संचालक, टीएनसीपी