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जर्जर बीआरटीएस सुधारे बगैर मासूमों और सवारियों को लेकर दौड़ेंगी बसें

locationभोपालPublished: Jan 20, 2019 01:56:55 am

Submitted by:

Ram kailash napit

बीसीएलएल का दावा- ट्रेनिंग और गाइड लाइन तोडऩे पर परमिट निरस्त करने के नियम से बनेगी व्यवस्था

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भोपाल. मिसरोद से बैरागढ़ तक 24 किमी लंबे जर्जर बीआरटीएस में कोई सुधार कार्य किए बगैर 130 लो फ्लोर बसों के साथ 1200 स्कूल बस और 200 से ज्यादा इंटरसिटी बसों को दौड़ाया जाएगा। मासूम बच्चों और सवारियों को लेकर दौडऩे वाली बसें दुर्घटनाग्रस्त नहीं हो इसके लिए बीसीएलएल को अपनी 7 बिंदु वाली गाइड लाइन पर पूरा भरोसा है। इधर स्कूल बस ऑनर एसोसिएशन बीसीएलएल की इस बेफिक्री से फिकरमंद है। एसोसिएशन ने बीसीएलएल प्रबंधन से मिलकर कहा है कि कम से कम बीआरटीएस के डेडीकेटेड कॉरीडोर में स्कूली बच्चों के स्टॉपेज चिन्हित कर दिए जाएं लेकिन बीसीएलएल ने इस पर विचार करने का भरोसा भी नहीं दिया है।

अर्बन डेवलपमेंट मामलों के जानकारों की राय में भी बीसीएलएल का जल्दबाजी में लिया ये कदम खतरनाक साबित हो सकता है। जानकारों की राय में शासन को इस तरह की व्यवस्थाएं लागू करने से पहले जनता के बीच जाकर पूछना चाहिए कि वास्तव में समस्या क्या है और लोग चाहते क्या हैं। उल्लेखनीय है कि बीसीएलएल प्रबंधन ने अचानक फैसला लेकर बीआरटीएस की डेडीकेटेड लेन में लो फ्लोर, एंबुलेंस के अलावा स्कूल बस और इंटरसिटी बसों का एंट्री देने का फैसला लिया है। मौजूदा सिस्टम बढ़े हुए ट्रैफिक लोड के लिए कितना तैयार है, इसका जायजा पत्रिका ने लिया था। इस दौरान गंभीर खामियां सामने आईं थी जिन्हें दूर किए बगैर डेडीकेटेड लेन में बसों का एंट्री देने से मासूमों और यात्रियों के लिए खतरा हो सकता है।
स्कूल बसें चला सकते हैं लेकिन जिम्मेदारी हमारी नहीं
नसीम परवेज, अध्यक्ष, निजी स्कूल बस ऑनर एसोसिएशन
– डेडीकेटेड लेन में स्कूल बसें चला सकते हैं लेकिन किसी भी दुर्घटना की जिम्मेदारी हमारी नहीं होगी।
– स्कूल प्रबंधनों से हमें कोई मदद नहीं मिलती है। बस में नोडल अधिकारी की शर्त को हम पूरा नहीं कर सकते।
– बीसीएलएल के अफसरों से मिलकर मांग की है कि कम से कम हमारी बसों के स्टॉपेज तो तय करें।
– लो फ्लोर और इंटरसिटी बस वाले हमारा सहयोग करें और स्कूल टाइम में हमें गाडिय़ा निकालने की तरजीह मिले।
– बीसीएलएल की 7 बिंदुओं की गाइड लाइन के हिसाब से हम डेडीकेटेड लेन में अपनी बसें नहीं चला सकते।
नियमों में बांधकर शहर व्यवस्थित नहीं कर सकेंगे
पूर्व सीएस निर्मला बुच, पूर्व डीजी अरुण गुर्टू के मुताबिक
– लोगों से बगैर पूछे लोगों के लिए योजना बनाने की आदत अफसरों को छोड़ देना चाहिए।
– नियमों में बांधकर शहर को व्यवस्थित करने का सपना देखना बहुत दुखदायी साबित होगा।
– लो फ्लोर के साथ एंबुलेंस तक बात ठीक थी, स्कूल बसें भी सुबह दोपहर शाम चल सकती हैं लेकिन इंटरसिटी बसों को इसमें दौड़ाने का क्या मतलब है।
– बीसीएलएल को इस तरह गाइड लाइन बनाकर अनुमतियां देने का अधिकार नहीं है। कल यदि दुर्घटना हुई तो जिम्मेदारी जिला प्रशासन की होगी, इसका जिक्र कहीं नहीं हो रहा है।
– बीआरटीएस का निर्माण आम लोगों को तेज रफ्तार पब्लिक ट्रांसपोर्ट सुविधा देने के लिए हुआ था। बसों की भीड़ लगने से ये सुविधा भंग हो जाएगी।
गाइड लाइन तैयार है, ट्रेनिंग देकर बना लेंगे व्यवस्था
संजय कुमार सीईओ बीसीएलएल-
– डेडीकेटेड लेन में बसों को अनुमति देने की मांग जिला यातायात समिति में जनता की तरफ से उठाई गई थी।
– जिला प्रशासन भी कई बार बीसीएलएल से इस बारे में बात कर चुका है अब हम इसे संचालित करने तैयार हैं।
– निगरानी के लिए अलग से टीम नहीं बनाई गई है लेकिन गाइड लाइन का पालन नहीं करने वालों पर कार्रवाई होगी।
– बीआरटीएस की मरम्मत की अनुमति पूर्व में ली गई थी लेकिन दोबारा कई स्थानों पर जालियां और सड़कें खराब हो गई हैं, इसे दिखवाया जाएगा।
– अगले 20 से 25 दिनों के अंदर अनुमति मांगने वाले वाहन चालकों को ट्रैनिंग देने का कार्यक्रम तय करेंगे।
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