नसीम परवेज, अध्यक्ष, निजी स्कूल बस ऑनर एसोसिएशन
– डेडीकेटेड लेन में स्कूल बसें चला सकते हैं लेकिन किसी भी दुर्घटना की जिम्मेदारी हमारी नहीं होगी।
– स्कूल प्रबंधनों से हमें कोई मदद नहीं मिलती है। बस में नोडल अधिकारी की शर्त को हम पूरा नहीं कर सकते।
– बीसीएलएल के अफसरों से मिलकर मांग की है कि कम से कम हमारी बसों के स्टॉपेज तो तय करें।
– लो फ्लोर और इंटरसिटी बस वाले हमारा सहयोग करें और स्कूल टाइम में हमें गाडिय़ा निकालने की तरजीह मिले।
– बीसीएलएल की 7 बिंदुओं की गाइड लाइन के हिसाब से हम डेडीकेटेड लेन में अपनी बसें नहीं चला सकते।
पूर्व सीएस निर्मला बुच, पूर्व डीजी अरुण गुर्टू के मुताबिक
– लोगों से बगैर पूछे लोगों के लिए योजना बनाने की आदत अफसरों को छोड़ देना चाहिए।
– नियमों में बांधकर शहर को व्यवस्थित करने का सपना देखना बहुत दुखदायी साबित होगा।
– लो फ्लोर के साथ एंबुलेंस तक बात ठीक थी, स्कूल बसें भी सुबह दोपहर शाम चल सकती हैं लेकिन इंटरसिटी बसों को इसमें दौड़ाने का क्या मतलब है।
– बीसीएलएल को इस तरह गाइड लाइन बनाकर अनुमतियां देने का अधिकार नहीं है। कल यदि दुर्घटना हुई तो जिम्मेदारी जिला प्रशासन की होगी, इसका जिक्र कहीं नहीं हो रहा है।
– बीआरटीएस का निर्माण आम लोगों को तेज रफ्तार पब्लिक ट्रांसपोर्ट सुविधा देने के लिए हुआ था। बसों की भीड़ लगने से ये सुविधा भंग हो जाएगी।
संजय कुमार सीईओ बीसीएलएल-
– डेडीकेटेड लेन में बसों को अनुमति देने की मांग जिला यातायात समिति में जनता की तरफ से उठाई गई थी।
– जिला प्रशासन भी कई बार बीसीएलएल से इस बारे में बात कर चुका है अब हम इसे संचालित करने तैयार हैं।
– निगरानी के लिए अलग से टीम नहीं बनाई गई है लेकिन गाइड लाइन का पालन नहीं करने वालों पर कार्रवाई होगी।
– बीआरटीएस की मरम्मत की अनुमति पूर्व में ली गई थी लेकिन दोबारा कई स्थानों पर जालियां और सड़कें खराब हो गई हैं, इसे दिखवाया जाएगा।
– अगले 20 से 25 दिनों के अंदर अनुमति मांगने वाले वाहन चालकों को ट्रैनिंग देने का कार्यक्रम तय करेंगे।